गुरुदेव संजय कौशिक 'विज्ञात' जी द्वारा आविष्कृत
उपजाति विज्ञात सवैया
विधान:- २३ वर्ण प्रति चरण
यति १२,११
मापनी-
२१२ २२१ २२१ २२२,
२१२ २११ २२१ २२
भारतीय स्थिति
आगरा में था शहंशाह इस्लामी,
चाहता भारत का शाह होना।
मान आमेरी घटाया बने स्वार्थी,
ब्याह की रीति नए बीज बोना।
राजपूतों में पड़ी फूट सामंती,
स्वार्थ हो सिद्ध भले मान खोना।
सैन्य शाही स्वार्थ साधे बढ़े ऐसे,
मातृ भू भाग्य बचा मात्र रोना।
वंश राणा का
वीर मेवाड़ी चले वंश राणा का,
मान वीरोचित चित्तौड़ भारी।
दुर्ग ऊँचा शीश मेवाड़ की थाती,
आन के मान लड़े धीर धारी।
ढाक वाले पर्वतों से घिरे ऊँचे,
दुर्ग ही दुर्ग प्रजा पीर हारी।
शत्रु काँपे नाम से सिंह राणा से,
स्वप्न में जो दिखते भीत कारी।
. 👀🌼👀
........✍©
बाबू लाल शर्मा,बौहरा,विज्ञ
सिकन्दरा, दौसा, राजस्थान
👀👀👀👀👀👀👀👀👀
No comments:
Post a Comment