आ. गुरुवर संजय कौशिक विज्ञात जी,
के मार्गदर्शन में कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा' जी द्वारा आविष्कृत-नवीन छंद-
उपजाति प्रज्ञा सवैया
२३ वर्ण, १२,११ वर्णों पर यति हो।
२२२ २१२ २१२ २११
२१२ २१२ २११ २२
राणा-चेतक
मेवाड़ी वीर राणा चढ़े चेतक,
दौड़ते दौड़ते अश्व थकाया।
घोड़ा रोका तभी वीर छाँया तरु,
पेड़ के अश्व के बंध लगाया।
थोड़ा चारा दिया अश्व को लाकर,
और पानी पिलाने वह लाया।
लाए जो संग में भोज वे खाकर,
नीर पीने लगे पेट छकाया।
संगिनी
आओ तो संगिनी साथ मेरे तुम,
पंथ में आपके संग रहूँगा।
बातें वे याद हैं संग में थी जब,
आज सारी कथा संग कहूँगा।
मेघों से मेघ के संग संघर्षण,
नीर वर्षा बनूँ और बहूँगा।
आए आँधी भले मेह भारी हिम,
संग होगी तभी मौन सहूँगा।।
*बाबू लाल शर्मा,बौहरा,'विज्ञ'*
*सिकन्दरा, दौसा, राजस्थान*
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