आ. गुरुदेव संजय कौशिक विज्ञात जी
के मार्गदर्शन में बाबू लाल शर्मा,बौहरा,'विज्ञ' जी द्वारा आविष्कृत-
नवीन छंद "तेजल सवैया" में
चार चरण होते हैं,
चारों चरण समतुकांत हों।
उपजाति तेजल सवैया
विधान:- ११ + ( ७ सगण) + २
२४ वर्ण, १२,१२ वें वर्ण पर यति हो,
मापनी:-
११ ११२ ११२ ११२ १,
१ २ ११२ ११२ ११२ २
वीर प्रताप
समय गया रजवाड़ समेट,
सुवंश रहे चलते अभिमानी।
विगत तुम्हे वह बात विचार,
विवेक कहे कुल वीर कहानी।
रिपु मुगलों हित मान जलाल,
प्रताप धरा हित वीर गुमानी।
समर किये रिपु से रजपूत,
सुरक्षित वार किये बलिदानी।
सुजन प्रताप हुआ प्रणवीर,
कुपंथ विनाशक पीकर हाला।
मुगल डरे जब वीर प्रताप,
उमंग भरे असि ले कर भाला।
मुगल जलाल डरे रिपु सैन्य,
प्रवीर प्रताप लड़े मतवाला।
सजग धरा हित धर्म सुरक्ष,
स्वदेश स्वतंत्र रखा प्रण पाला।
*बाबू लाल शर्मा,बौहरा,'विज्ञ'*
*सिकन्दरा, दौसा, राजस्थान*
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