आ. गुरुवर संजय कौशिक विज्ञात जी,
के मार्गदर्शन में अनिता मंदिलवार 'सपना' जी द्वारा आविष्कृत-नवीन छंद-
उपजाति सपना सवैया
२४ वर्ण, १२,१२ वर्णों पर यति हो
मापनी-
२२२ १२२ १२२ १२२,
१२२ १२२ १२२ २२२
*राधा*
राधे श्याम झूले सुहानी छटा है,
कहे राधिका जी कन्हैया हो मेरे।
आई गोपिकाएँ ठिठोली करें वे,
कन्हैया सभी के हमारे या तेरे।
कान्हा नित्य आते सवेरे जगे तो,
दही दूध माँगे नही दे तो हेरे।
राधा से सभी यों कहे गोपिकाएँ,
खड़ी वे सनेही कन्हैया को घेरे।
लाई बाँसुरी को छिपा कौन गोपी,
निहारे कन्हैया करे सोच साधे।
गोपी वे मनों में रही सोचती थी,
कन्हैया कहे चोर मेरी है राधे।
कान्हा संग भी ग्वाल संगी सनेही,
हुए राधिके संग संगी थे आधे।
रोई राधिका कृष्ण आँसू छिपाए,
कन्हैया लगाए सनेही को काँधे।
*बाबू लाल शर्मा,बौहरा,'विज्ञ'*
*सिकन्दरा, दौसा, राजस्थान*
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