Wednesday 28 April 2021

विज्ञ छंद पर बाबूलाल शर्मा , बौहरा, विज्ञ जी की रचना


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आ. संजय कौशिक विज्ञात जी का आविष्कृत-

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विधान:-  वर्णिक छंद है १४ वर्ण का

२२१ २२२, १२२ १२२ २२

तगण मगण, यगण यगण गुरु गुरु

६, ८  वर्ण पर यति रहे

५, १२, व १७ वीं मात्रा लघु अनिवार्य है।

गुरु = लघु लघु संभव है

चार चरण, दो पंक्ति सम चरण सम तुकांत हो।

विज्ञ छंद में मापनी का वाचिक रूप भी मान्य है।


.             🌼 *हनुमान बजरंगी* 🌼

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हनुमान   बालाजी, दुलारे  लखन  राघव  के।

प्रभु आप की महिमा, सुनाएँ परम-लाघव के।।


सुग्रीव  सम  संगी, बनाए  भलुक कपि सारे।

अंगद  रखे  तारा, व  बाली  सहज प्रभु मारे।।


ढूँढी  सिया  माता, गये तुम जलधि तर खारे।

धीरज  बँधाया  था, सिया ने तनय कह तारे।।


रावण  महा पापी, धरा सुर जलधि भय शंका।

अभिमान कुचला था, जलाए नगर गढ़ लंका।।


लक्ष्मण हुए मूर्छित, पवन सुत मरुतगति धाए।

हनुमान  बजरंगी, सजीवन गिरि सहित  लाए।।


राक्षस  सभी  मारे, विभीषण प्रजा प्रतिपाली।

लौटे  अयोध्या  तब, मनी  घर  नगर दीवाली।।

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✍©

बाबू लाल शर्मा,बौहरा,विज्ञ

सिकन्दरा, दौसा, राजस्थान


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दूसरी रचना 

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~~~~~~~~~~~~~~_बाबूलालशर्मा,विज्ञ_

श्री संजय कौशिक विज्ञातजी द्वारा आविष्कृत-

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~मापनी- २२१ २२२, १२२ १२२ २२ वाचिक


यह गर्म लू चलती, भयानक  तपिश घर बाहर।

कुछ मित्र भी कहते,अचानक नगर की आकर।

आकाश रोता रवि, धरा शशि विकल हर माता।

यह  रोग  कोरोना, पराजित  मनुज थक गाता।


पितु मात छीने है, किसी  घर  तनय  बहु बेटी।

यह मौत का साया, निँगलता  मनुज  आखेटी।

मजदूर भूखे  घर, निठल्ले  स्वजन  जन  सारे।

बीमार जन शासन, चिकित्सक  पड़े  मन हारे।


तन साँस सी घुटती, सुने  जब खबर मौतों की।

मन फाँस बन चुभती, पराए  सुजन  गोतों की।

नाते  हुए  थोथे, विगत  सब  रहन ब्याजों  के।

ताले  जड़े  मुख  पर, लगे घर विहग बाजों के।

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.      ✍©

बाबू लाल शर्मा,बौहरा,विज्ञ

सिकन्दरा, दौसा, राजस्थान

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Tuesday 27 April 2021

समालखा के विज्ञात ने दिए साहित्य जगत को 106 नूतन छंद

समालखा पानीपत (हरियाणा) के सहित्यकार संजय कौशिक विज्ञात ने 106 नूतन छंदों का निर्माण कर हिन्दी साहित्य को एक अनुपम भेंट दी है। जिसकी कल्पना करना भी असंभव था उसे उन्होंने यथार्थ में कर दिखाया। कलम की सुगंध साहित्यिक मिशन के संस्थापक संजय कौशिक 'विज्ञात' ने सभी छंदों के नाम अपने द्वारा कवि कवयित्रियों को दिए गए उपनामों पर रखे हैं। अपने नाम का छंद पाकर कवि परिवार अत्यंत हर्षित है। शुभकानाओं के माध्यम से सभी ने गुरुदेव संजय कौशिक 'विज्ञात' जी  का आभार व्यक्त किया और अनेकों छंदों पर रचनाएँ लिखी गई। 


 



पत्रकार सुरेश निरंकारी जी का बहुत बहुत आभार उन्होंने इस खबर को अपने वर्तमान पत्र में प्रकाशित किया 💐💐💐💐💐💐💐





पत्रकार सैनी जी का बहुत बहुत आभार उन्होंने अर्थ प्रकाश न्यूज पेपर में इस खबर को प्रकाशित किया।





मुम्बई के स्थाई निवासी समालखा भास्कर के पत्रकार अरविंद जी का हार्दिक आभार 🙏

कलमकारों द्वारा गुरुदेव को समर्पित शब्द सुमन खूबसूरत गीत और नवगीत के रूप में प्रेषित हुए। 







कलम की सुगंध परिवार के लिए हनुमान जन्मोत्सव द्विगुणित खुशियों भरा रहा। अनेक कलमकारों ने इन छंदों पर अपनी कलम चलाई ।अपने नाम का छंद पाकर कलमकारों के मन में अत्यंत खुशी है जो उन्होंने शुभकानाओं के रूप में प्रेषित की। सभी को हार्दिक बधाई 💐💐💐💐

साँची छंद पर इन्द्राणी साहू 'साँची' का गीत


 गुरुदेव संजय कौशिक 'विज्ञात' जी द्वारा निर्मित साँची छंद पर गीत

साँची छंद
221 222 , 221 221 22
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
हनुमान बजरंगी
है आप का ही सहारा ।
कर त्याग चिंता का
नित नाम जपती तुम्हारा ।।

हो वीर अतुलित तुम
हे भक्त सिय के दुलारे ।
बनकर सखा तुम ही
सुग्रीव के दुख निवारे ।
जो भी शरण आया
दुख से तुम्हीं ने उबारा ।
हनुमान बजरंगी
है आप का ही सहारा ।।

सुत अंजना के बन
मद भानु का तोड़ आए ।
रुकते न क्षण भर भी
जब भक्त तुमको बुलाए ।
प्रभु नाम जो जप ले
पाता वही तो किनारा ।
हनुमान बजरंगी
है आप का ही सहारा ।।

सिय सुधि तुम्हीं लाए
लंका दनुज की जलाए ।
उड़ते फिरे अंबर
सुभदा पवन सुत कहाए ।
पीड़ित पतित जन का
जीवन तुम्हीं ने सँवारा ।
हनुमान बजरंगी
है आप का ही सहारा ।।

नित नाम हनुमत लो
सियराम आशीष पाओ ।
श्री राम के प्रिय को
कर वंदना ही मनाओ ।
बिन नाम हनुमत के
जग में नहीं है गुजारा ।
हनुमान बजरंगी
है आप का ही सहारा ।।

         *इन्द्राणी साहू"साँची"*
         भाटापारा (छत्तीसगढ़)    
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आख्या छन्द पर अनिता सुधीर 'आख्या' का गीत




 गुरुदेव संजय कौशिक 'विज्ञात' जी द्वारा निर्मित आख्या छन्द पर गीत

आख्या छन्द

212  222,  212  222 21

शारदे वाग्देवी, लेखनी को देतीं गान

है विधा ने ओढ़ी,चूनरी जो धानी लाल।
जो सजाएँ ज्ञानी,मुस्कुराया हिंदी काल।।
है निराले छंदों में,शिल्प का पूरा ये ज्ञान।
शारदे वाग्देवी,लेखनी को देतीं गान।।

थी खड़ी लाचारी,देखती बीमारी रोग।
लाभ लेते ज्ञानी,विद्वता भी देती योग।।
जो उठा है बीड़ा,उच्च हो भाषा का मान।
शारदे वाग्देवी, लेखनी को देतीं गान।।

नव्यता ले भाषा,ओढ़ती सज्जा को आज।
जो विधा को देखे,रागिनी ने छेड़े साज।।
*छंद आख्या* देखे ,दिव्यता भी धारे ध्यान।
शारदे वाग्देवी, लेखनी को देतीं गान।।

अनिता सुधीर आख्या


Monday 26 April 2021

विदुषी छंद रचयिता संजय कौशिक 'विज्ञात'


 

संजय कौशिक 'विज्ञात' जी द्वारा निर्मित  

'विदुषी छंद

■ विदुषी छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए।


मापनी ~ 

221 222

212 212  22


तगण मगण

रगण रगण गुरु गुरु (गा गा)


विदुषी छंद की मापनी पर नवगीत


तारे सभी सिहरे

शोर करती रही तरणी

काली घटा छायी

साथ झूमे हवा धरणी


कैसी जगी तृष्णा

जीव के प्राण की प्यासी

चपला बनी रानी

घात सहती मृदा दासी

नैना सहे पीड़ा

शोक देती रही करणी


काँपे अधर कोमल

पुष्प बिखरे व्यथा सहते

कंटक कहे किस से

मौन सारे भ्रमर रहते

द्वारे खड़ी विपदा

त्राण मांगे कहाँ हिरणी


झाँके खड़ी आँगन

भीत सिसके हँसे चीरे

छप्पर गिरा नीचे

आज मिट्टी लगे हीरे

चूमे तनय माथा

छोड़ती प्राण वो गृहिणी


छाले कहे पग से

सहन हर घाव को करलो

कांटे गड़े पथ में

धैर्य कुछ भाव में भरलो

आहत हुआ अम्बर

और व्याकुल हुई धरणी


नीतू ठाकुर 'विदुषी'



विदुषी छंद की मापनी पर नवगीत 


सब भाग्य का है फल 

आपकी नेक हैं करणी

फिर कोप कैसा है

भीड़ ये मारती मरणी


ये भूल है कोई 

खा रही आज लोगों को

विष सोचता चीखे

दूँ अभी मार भोगों को

ये कौंधती बिजली

आज कम्पित लगे डरणी


वो दूर से फेंके

अस्त्र का शोध नित करता

हिय यत्न नित ढूँढे

घुट सिसकता रहा डरता

*आहत हुआ अंबर*

*और व्याकुल हुई धरणी*


ये धूल खुशियों पर

 घाव भी तो हुए गहरे

क्यों द्वार पर सबके

आज ये हैं लगे पहरे

ये मृत्यु की शैया

आज निश्चित हुई भरणी


राधा तिवारी "राधेगोपाल"

एल टी अंग्रेजी अध्यापिका

 खटीमा,उधम सिंह नगर

 उत्तराखंड



विदुषी छंद की मापनी पर नवगीत 


आहत हुआ अम्बर

और व्याकुल हुई धरणी

छाया सुनामी सा

झोल मारे धरा मरणी।।


आँधी चली बैरण

फोड़ती घाव नूतन से

लहरें रुदन करती

सिंधु का क्रोध भू तन से

बादल बनाते घर 

वज्र सी मार कर करणी।।


छाई खुशी बिखरे

कष्ट तांडव करे सिर पर

दिखते दिवस तारे

मृत्यु सौ नित रहे हैं मर

सूरज ग्रहण अवसर

कालिमा चर रही चरणी।।


यह शेर सी गर्जन

पाश अजगर निगलता सा

अटका शिखा में है

प्राण मुख में निकलता सा

भूकम्प के झटके

काँपती क्षिति लगे डरणी।।


संजय कौशिक 'विज्ञात'



प्रज्ञा छंद का शिल्प विधान और उदाहरण




 गुरुदेव संजय कौशिक 'विज्ञात' जी द्वारा निर्मित

प्रज्ञा छंद 

■ प्रज्ञा छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए

मापनी - 222 122

          122 212 22


मगण यगण

यगण रगण गुरु गुरु (गा गा)


प्रज्ञा छंद की मापनी पर नवगीत


नूतन पात सद्य:

विटप का गात है शोभित

भटके धूर्त भ्रमरा

पुहुप का चित्त आशंकित।


झूमे मद्य पीकर

हवा उन्माद में डोले

चटहट चाल चलती

कभी लो सीटियाँ बोले

भौंहे तान अकड़ी

धरा पर घोर चक्रांकित।।


फिर उद्दाम वधु पर 

घटा की घुड़कियाँ गूँजी

लो बरसा पयोधर 

कृषक के खेत में पूँजी

छाई आज खुशियाँ

सभी नर नार मन मुलकित।।


अँखुआ रोम खिलता

मही अंतस दरकता है

प्योधें धार तन पर

रसा का मन सरसता है

अनुपम ओढ चूनर

नवेली रूप आलोकित।।


कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'


संजय कौशिक 'विज्ञात' के 106 नूतन छंद


*विज्ञातात्मा छंद परिवार के 106 नूतन भेद*

संजय कौशिक 'विज्ञात' 

आज हनुमान जन्मोत्सव के उपलक्ष्य पर पूर्व दिवस चैत्र सुदी चतुर्दशी के दिन समलाखा स्थित हनुमान मंदिर में कवि श्रेष्ठ हनुमान जी का यशोगान करते हुए इन आदि कवि, रुद्र के अवतारी, रामभक्त हनुमान जी की अनुकम्पा एवं  माँ वीणापाणि के शुभाशीर्वाद फलस्वरूप मैं संजय कौशिक विज्ञात विज्ञातात्मा छंद की पृथक पृथक 106 मापनी को गण विधान सहित प्रेषित कर रहा हूँ जो पृथक पृथक नाम से नए -नए छंद के रूप में जाने और पहचाने जाएंगे एक साथ 106 नए छंद का शिल्प विधान इस प्रकार से है। इनमें मुख्य आकर्षण का केंद्र यह है कि ये सभी वार्णिक छंद हैं जिनमें वर्णों की संख्या निर्धारित है। और इससे भी मुख्य बात वह यह है कि इन सभी छंद में गुरु (गा) के स्थान पर रचना लिखते समय दो लघु (ल ल)  प्रयोग करने की छूट रहेगी। जिससे छंद सृजन में सरलता तो आजायेगी ही , साथ ही यह नया रूप कवि परिवार और पाठक परिवार तथा श्रोता परिवार को आकर्षक लगेगा। वाचिक रूप की भी सर्वत्र सराहना की जाएगी।


विशेष सूचना :- 

उदाहरण जैसे जैसे समक्ष आते रहेंगे ब्लॉग पर प्रेषित करते रहेंगे (लगभग 50 मापनी तो लय बाधा दोष परिलक्षित होने के कारण छोड़ दी गई हैं । शेष इनमें भी किसी छंद की लय बाधा प्रतीत होती है तो उस छंद को नाम सहित निकाल दिया जाएगा। 


विज्ञात छंद की मापनी एव गण 


1.

रमेश छंद 

■ रमेश छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

122 222

122 122 22

यगण मगण

यगण यगण गुरु गुरु (गा गा)

उदाहरण : -

बुलाके देखो तो, हमारे प्रभो आयेंगे

मिलेंगे भोले जी, उन्हें जो इन्हें ध्याएँगे।।

संजय कौशिक 'विज्ञात'

2.

सुशीला छंद 

■ सुशीला छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।


122 222

122 212 22

यगण मगण

यगण रगण गुरु गुरु (गा गा)

उदाहरण:-


हमारे आने से, जहाँ पे हर्ष छाये हैं।

बड़े वो मीठे जो, क्षणों ने गीत गाये हैं।।


घटाएं गाती हैं, जहाँ पे राग प्यारे से।

दिखाती बातों में, निभाती नेह न्यारे से।।


घरों की रोती हैं, वही प्राचीन सी भीतें।

सदा से ही देखी, यहाँ पे टूटती रीतें।।


संजय कौशिक 'विज्ञात'


3.


लक्ष्य छंद 

■ लक्ष्य छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

122 222

122 221 22

यगण मगण

यगण तगण गुरु गुरु (गा गा)


4.

सुमित छंद 

■ सुमित छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।


122 222

122 222 12

यगण मगण

यगण मगण लघु गुरु (लगा)


5.

ध्रुव छंद 

■ ध्रुव छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।


122 222

122 222 21

यगण मगण

यगण मगण गुरु लघु (गाल)


6.

दीक्षा छंद 

■ दीक्षा छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

122 222

212 212 22

यगण मगण

रगण रगण गुरु गुरु (गा गा) 


7.

प्रभात छंद 

■ प्रभात छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

122 222

221 221 22

यगण मगण

तगण तगण गुरु गुरु (गा गा)


8.

उज्ज्वला छंद 

■ उज्ज्वला छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।


122 222

212 222 12

यगण मगण

रगण मगण लघु गुरु (लगा)


9.

कृत्तिका छंद 

■ कृत्तिका छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

122 222

212 222 21

यगण मगण

रगण मगण गुरु लघु (गाल)


10.

आस छंद 

■ आस छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

122 222

221 212 22

यगण मगण

तगण रगण गुरु गुरु (गा गा)


11.

दिनकर छंद 

■ दिनकर छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

122 222

221 221 22

यगण मगण

तगण तगण गुरु गुरु (गा गा)


12.

नलिन छंद 

■ नलिन छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

122 222

221 222 12

यगण मगण

तगण मगण लघु गुरु (लगा) 


13.

सुमा छंद 

■ सुमा छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

122 222

221 222 21

यगण मगण

तगण मगण गुरु लघु (गाल)


14.

सपना छंद 

■ सपना छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

122 222

222 122 21

यगण मगण

मगण यगण गुरु लघु (गाल)


15.

सुवासिता छंद 

■ सुवासिता छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

122 222

222 122 12

यगण मगण

मगण यगण लघु गुरु (लगा) 

उदाहरण :-

उधारी की पूंजी, बेटी यूँ पराई हुई।

लिए संकल्पों से, रोती सी विदाई हुई।।

संजय कौशिक 'विज्ञात'

16.

गुल छंद 

■ गुल छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

122 222

222 212 12

यगण मगण

मगण रगण लघु गुरु (लगा)


17.

प्रांजलि छंद 

■ प्रांजलि छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

122 222

222 212 21

यगण मगण

मगण रगण गुरु लघु (गाल)


18.

वीणा छंद 

■ वीणा छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

122 222

222 221 12

यगण मगण

मगण तगण लघु गुरु (लगा)

उदाहरण :-

बजे मीठी वीणा, बंशी जैसा वाद्य जहाँ।

सभी झूमें नाचें, ग्वाले राधा कृष्ण वहाँ।।

संजय कौशिक 'विज्ञात'

19.

विधा छंद 

■ विधा छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

212 222

122 122 22

रगण मगण

यगण यगण गुरु गुरु (गा गा)


20.

गोपी छंद 

■ गोपी छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।


212 222

122 212 22

रगण मगण

यगण रगण गुरु गुरु (गा गा)


21.

धरा छंद 

■ धरा छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

212 222

122 221 22

रगण मगण

यगण तगण गुरु गुरु (गा गा)


22.

निरंतर छंद 

■ निरंतर छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

212 222

122 222 12

रगण मगण

यगण मगण लघु गुरु (लगा)


23.

ऋचा छंद 

■ ऋचा छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

212 222

122 222 21

रगण मगण

यगण मगण गुरु लघु (गाल)


24.

मनीषी छंद 

■ मनीषी छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

212 222

212 212 22

रगण मगण

रगण रगण गुरु गुरु (गा गा) 


25.

रीत छंद 

■ रीत छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

212 222

221 221 22

रगण मगण

तगण तगण गुरु गुरु (गा गा)


26.

प्रज्ञ छंद 

■ प्रज्ञ छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

212 222

212 222 12

रगण मगण

रगण मगण लघु गुरु (लगा)


27.

आख्या छंद 

■ आख्या छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

212 222

212 222 21

रगण मगण

रगण मगण गुरु लघु (गाल)


28.

यथार्थ छंद 

■ यथार्थ छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

212 222

221 212 22

रगण मगण

तगण रगण गुरु गुरु (गा गा)


29.

बोध छंद 

■ बोध छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

212 222

221 221 22

रगण मगण

तगण तगण गुरु गुरु (गा गा)


30.

दीप्ति छंद 

■ दीप्ति छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

212 222

221 222 12

रगण मगण

तगण मगण लघु गुरु (लगा) 


31.

दिव्य छंद 

■ दिव्य छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

212 222

221 222 21

रगण मगण

तगण मगण गुरु लघु (गाल)


32.

विद्योत्तमा छंद 

■ विद्योत्तमा छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

212 222

222 122 21

रगण मगण

मगण यगण गुरु लघु (गाल)


33.

विद्या छंद 

■ विद्या छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

212 222

222 122 12

रगण मगण

मगण यगण लघु गुरु (लगा) 


34.

शर्वरी छंद 

■ शर्वरी छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

212 222

222 212 12

रगण मगण

मगण रगण लघु गुरु (लगा)


35.

अनंत छंद 

■ अनंत छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

212 222

222 212 21

रगण मगण

मगण रगण गुरु लघु (गाल)

उदाहरण :-

वाद्य की वीणा से, गूँजे भू और आकाश।

तार के रागों ने, बाँधा यूँ दिव्य सा पाश।।

संजय कौशिक 'विज्ञात'

36.

सुज्ञ छंद 

■ सुज्ञ छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।


212 222

222 221 12

रगण मगण

मगण तगण लघु गुरु (लगा)


37.

विज्ञ छंद 

■ विज्ञ छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

221 222

122 122 22

तगण मगण

यगण यगण गुरु गुरु (गा गा)

उदाहरण :-

वो पीर भी रोई, डरी व्यंजना चिल्लाई।

यूँ धैर्य को ढूँढे, गिरी जो गिरी से राई।।

संजय कौशिक 'विज्ञात'

38.

विज्ञातात्मा छंद 

■ विज्ञातात्मा छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

221 222

122 212 22

तगण मगण

यगण रगण गुरु गुरु (गा गा)


39.

अचला छंद 

■ अचला छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

221 222

122 221 22

तगण मगण

यगण तगण गुरु गुरु (गा गा)


40.

व्याघ्र छंद 

■ व्याघ्र छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।


221 222

122 222 12

तगण मगण

यगण मगण लघु गुरु (लगा)


41.

मेधा छंद 

■ मेधा छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

221 222

122 222 21

तगण मगण

यगण मगण गुरु लघु (गाल)


42.

विदुषी छंद 

■ विदुषी छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

221 222

212 212 22

तगण मगण

रगण रगण गुरु गुरु (गा गा) 

उदाहरण:-

आकाश का गामी,भू पखेरू पड़ा देखा।

संताप से रोता, राम के नेह का लेखा।।

संजय कौशिक 'विज्ञात'

43.

विदिता छंद 

■ विदिता छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

221 222

221 221 22

तगण मगण

तगण तगण गुरु गुरु (गा गा)


44.

विपुला छंद 

■ विपुला छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

221 222

212 222 12

तगण मगण

रगण मगण लघु गुरु (लगा)


45.

वृंदा छंद 

■ वृंदा छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

221 222

212 222 21

तगण मगण

रगण मगण गुरु लघु (गाल)


46.

विधायनी छंद 

■विधायनी छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

221 222

221 212 22

तगण मगण

तगण रगण गुरु गुरु (गा गा)


47.

साँची छंद 

■ साँची छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

221 222

221 221 22

तगण मगण

तगण तगण गुरु गुरु (गा गा)


48.

स्निग्धा छंद 

■ स्निग्धा छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

221 222

221 222 12

तगण मगण

तगण मगण लघु गुरु (लगा) 

उदाहरण :-

आकाश भी रोया, रोई धरा भी कष्ट में।

यूँ आज कोरोना, खाता दिखा है स्पष्ट में।।

संजय कौशिक 'विज्ञात'

49.

 विद्यांशी छंद 

■ विद्यांशी छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

221 222

221 222 21

तगण मगण

तगण मगण गुरु लघु (गाल)


50.

इंदुप्रभा छंद 

■ इंदुप्रभा छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

221 222

222 122 21

तगण मगण

मगण यगण गुरु लघु (गाल)


51.

विमला छंद 

■ विमला छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

221 222

222 122 12

तगण मगण

मगण यगण लघु गुरु (लगा) 


52.

विन्देश्वरी छंद 

■ विन्देश्वरी छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

221 222

222 212 12

तगण मगण

मगण रगण लघु गुरु (लगा)


53.

कृतिशिखा छंद 

■ कृतिशिखा छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

221 222

222 212 21

तगण मगण

मगण रगण गुरु लघु (गाल)


54.

उर्वशी छंद 

■ उर्वशी छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 122

122 122 22

मगण यगण

यगण यगण गुरु गुरु (गा गा)


55.

प्रज्ञा छंद 

■ प्रज्ञा छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।


222 122

122 212 22

मगण यगण

यगण रगण गुरु गुरु (गा गा)


56.

शिल्पशिखा छंद 

■ शिल्पशिखा छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 122

122 221 22

मगण यगण

यगण तगण गुरु गुरु (गा गा)


57.

यशस्वी छंद 

■ यशस्वी छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 122

122 222 12

मगण यगण

यगण मगण लघु गुरु (लगा)


58.

काव्यशिखा छंद 

■ काव्यशिखा छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 122

122 222 21

मगण यगण

यगण मगण गुरु लघु (गाल)


59.

रत्नप्रभा छंद 

■ रत्नप्रभा छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 122

212 212 22

मगण यगण

रगण रगण गुरु गुरु (गा गा) 


60.

रत्नावली छंद 

■ रत्नावली छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 122

221 221 22

मगण यगण

तगण तगण गुरु गुरु (गा गा)


61.

रिद्धिमा छंद 

■ रिद्धिमा छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 122

212 222 12

मगण यगण

रगण मगण लघु गुरु (लगा)


62.

सुधी छंद 

■ सुधी छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 122

212 222 21

मगण यगण

रगण मगण गुरु लघु (गाल)


63.

अर्णव छंद 

■ अर्णव छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 122

221 212 22

मगण यगण

तगण रगण गुरु गुरु (गा गा)


64.

नव्या छंद 

■ नव्या छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 122

221 221 22

मगण यगण

तगण तगण गुरु गुरु (गा गा)


65.

प्रारम्भिक छंद 

■ प्रारम्भिक छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 122

221 222 12

मगण यगण

तगण मगण लघु गुरु (लगा) 


66. 

विख्यात छंद 

■ विख्यात छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 122

221 222 21

मगण यगण

तगण मगण गुरु लघु (गाल)


67.

स्वस्तिक छंद 

■ स्वस्तिक छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 122

222 122 21

मगण यगण

मगण यगण गुरु लघु (गाल)


68.

 विद्यांश छंद 

■ विद्यांश छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 122

222 122 12

मगण यगण

मगण यगण लघु गुरु (लगा) 


69.

विज्ञांश छंद 

■ विज्ञांश छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 122

222 212 12

मगण यगण

मगण रगण लघु गुरु (लगा)


70.

निष्णात छंद 

■ निष्णात छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 122

222 212 21

मगण मगण

मगण रगण गुरु लघु (गाल)


71.

कोविद छंद 

■ कोविद छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 212

122 122 22

मगण रगण

यगण यगण गुरु गुरु (गा गा)


72. 

विज्ञांशी छंद 

■ विज्ञांशी छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 212

122 212 22

मगण रगण

यगण रगण गुरु गुरु (गा गा)


73.

जागृति छंद 

■ जागृति छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।


222 212

122 221 22

मगण रगण

यगण तगण गुरु गुरु (गा गा)


74.

मयंक छंद 

■ मयंक छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 212

122 222 12

मगण रगण

यगण मगण लघु गुरु (लगा)


75.

चेतन छंद 

■ चेतन छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 212

122 222 21

मगण रगण

यगण मगण गुरु लघु (गाल)


76.

भुवि छंद 

■ भुवि छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।


222 212

212 212 22

मगण रगण

रगण रगण गुरु गुरु (गा गा) 


77.

लावण्य छंद 

■ लावण्य छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 212

221 221 22

मगण रगण

तगण तगण गुरु गुरु (गा गा)


78.

सारांश छंद 

■ सारांश छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 212

212 222 12

मगण रगण

रगण मगण लघु गुरु (लगा)


79.

अग्रिमा छंद 

■ अग्रिमा छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 212

212 222 21

मगण रगण

रगण मगण गुरु लघु (गाल)


80.

सुगंध छंद 

■ सुगंध छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 212

221 212 22

मगण रगण

तगण रगण गुरु गुरु (गा गा)


81.

प्रेम छंद 

■ प्रेम छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 212

221 221 22

मगण रगण

तगण तगण गुरु गुरु (गा गा)


82.

विराट छंद 

■ विराट छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 212

221 222 12

मगण रगण

तगण मगण लघु गुरु (लगा) 


83. शाश्वत छंद 

■ शाश्वत छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।


222 212

221 222 21

मगण रगण

तगण मगण गुरु लघु (गाल)


84.

स्वयं छंद 

■ स्वयं छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 212

222 122 21

मगण रगण

मगण यगण गुरु लघु (गाल)


85.

आर्यन छंद 

■ आर्यन छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 212

222 122 12

मगण रगण

मगण यगण लघु गुरु (लगा) 


86.

राधेगोपाल छंद 

■ राधेगोपाल छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 212

222 212 12

मगण रगण

मगण रगण लघु गुरु (लगा)

उदाहरण :- 

(1)

भूखा हो पेट जो, दो हीरे लाख दान में।

खाता है कौन यूँ, रत्नों के भोज्य मान में।।

संजय कौशिक 'विज्ञात'

(2) मुक्तक

लाई पाती वही , संदेशा आज नेह का।

पीड़ा वैराग्य में, भूले जो कष्ट देह का।

आना तो था उन्हें, पाती ये धन्य सी हुई।

भूले हैं वो मुझे, पूछें यूँ हाल गेह का।।

संजय कौशिक 'विज्ञात'

87.

वीरेंद्र छंद 

■ वीरेंद्र छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 212

222 212 21

मगण रगण

मगण रगण गुरु लघु (गाल)


88.

हरियाणा छंद 

■ हरियाणा छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 212

222 221 12

मगण रगण

मगण तगण लघु गुरु (लगा)


89.

निर्भीक छंद 

■ निर्भीक छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 221

122 122 22 

मगण तगण

यगण यगण गुरु गुरु (गा गा)


90.

सगुणा छंद 

■ सगुणा छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 221

122 212 22

मगण तगण

यगण रगण गुरु गुरु (गा गा)


91.

विपिन छंद 

■ विपिन छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 221

122 221 22

मगण तगण

यगण तगण गुरु गुरु (गा गा)


92.

वियोना छंद 

■ वियोना छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 221

122 222 12

मगण तगण

यगण मगण लघु गुरु (लगा)


93.

विविता छंद 

■ विविता छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 221

122 222 21

मगण तगण

यगण मगण गुरु लघु (गाल)


94.

विविक्ता छंद 

■ विविक्ता छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 221

212 212 22

मगण तगण

रगण रगण गुरु गुरु (गा गा) 


95.

भारत छंद 

■ भारत छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 221

221 221 22

मगण तगण

तगण तगण गुरु गुरु (गा गा)


96.

विषिमा छंद 

■ विषिमा छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 221

212 222 12

मगण तगण

रगण मगण लघु गुरु (लगा)


97.

 क्षिर्जा छंद 

■ क्षिर्जा छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 221

212 222 21

मगण तगण

रगण मगण गुरु लघु (गाल)


98.

 स्नेहा छंद 

■ स्नेहा छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 221

221 212 22

मगण तगण

तगण रगण गुरु गुरु (गा गा)

उदाहरण:

स्नेहा सा ये छंद, आसान है लिखो सारे।

धर्मो के संस्कार, यूँ काव्य के निभें प्यारे।।

संजय कौशिक 'विज्ञात'

99.

 स्नेहिल छंद 

■ स्नेहिल छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 221

221 221 22

मगण तगण

तगण तगण गुरु गुरु (गा गा)


100.

 संस्कृति छंद 

■ संस्कृति छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 221

221 222 12

मगण तगण

तगण मगण लघु गुरु (लगा) 


101. 

भारत छंद 

■ भारत छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 221

221 222 21

तगण तगण

मगण मगण गुरु लघु (गाल)


102.

अजिर छंद 

■ अजिर छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 221

222 122 21

मगण तगण

मगण यगण गुरु लघु (गाल)


103. 

गुनिता छंद 

■ गुनिता छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 221

222 122 12 

मगण तगण

मगण यगण लघु गुरु (लगा) 


104. 

हर्षिता छंद 

■ हर्षिता छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 221

222 212 12

मगण तगण

मगण रगण लघु गुरु (लगा)

 

105. 

नंदिनी छंद 

■ नंदिनी छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।

222 221

222 212 21

मगण तगण

मगण रगण गुरु लघु (गाल)


106.

विप्सा छंद 

■ विप्सा छंद का शिल्प विधान ■ 

वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।


222 221

222 221 12

मगण तगण

मगण तगण लघु गुरु (लगा)

छंद रचयिता - संजय कौशिक 'विज्ञात'







पत्रकार सुरेश निरंकारी जी का बहुत बहुत आभार उन्होंने इस खबर को वर्तमान पत्र में प्रकाशित किया 💐💐💐💐💐💐💐



पत्रकार सैनी जी का बहुत बहुत आभार उन्होंने अर्थ प्रकाश न्यूज पेपर में इस खबर को प्रकाशित किया।




मुम्बई के स्थाई निवासी समालखा भास्कर के पत्रकार अरविंद जी का हार्दिक आभार 🙏

कलम की सुगंध परिवार के लिए हनुमान जन्मोत्सव द्विगुणित खुशियों भरा रहा। अनेक कलमकारों ने इसपर अपनी कलम चलाई ।अपने नाम का छंद पाकर कलमकारों के मन में अत्यंत खुशी है जो उन्होंने शुभकानाओं के रूप में प्रेषित की। सभी को हार्दिक बधाई 💐💐💐💐