*विज्ञातात्मा छंद परिवार के 106 नूतन भेद*
संजय कौशिक 'विज्ञात'
आज हनुमान जन्मोत्सव के उपलक्ष्य पर पूर्व दिवस चैत्र सुदी चतुर्दशी के दिन समलाखा स्थित हनुमान मंदिर में कवि श्रेष्ठ हनुमान जी का यशोगान करते हुए इन आदि कवि, रुद्र के अवतारी, रामभक्त हनुमान जी की अनुकम्पा एवं माँ वीणापाणि के शुभाशीर्वाद फलस्वरूप मैं संजय कौशिक विज्ञात विज्ञातात्मा छंद की पृथक पृथक 106 मापनी को गण विधान सहित प्रेषित कर रहा हूँ जो पृथक पृथक नाम से नए -नए छंद के रूप में जाने और पहचाने जाएंगे एक साथ 106 नए छंद का शिल्प विधान इस प्रकार से है। इनमें मुख्य आकर्षण का केंद्र यह है कि ये सभी वार्णिक छंद हैं जिनमें वर्णों की संख्या निर्धारित है। और इससे भी मुख्य बात वह यह है कि इन सभी छंद में गुरु (गा) के स्थान पर रचना लिखते समय दो लघु (ल ल) प्रयोग करने की छूट रहेगी। जिससे छंद सृजन में सरलता तो आजायेगी ही , साथ ही यह नया रूप कवि परिवार और पाठक परिवार तथा श्रोता परिवार को आकर्षक लगेगा। वाचिक रूप की भी सर्वत्र सराहना की जाएगी।
विशेष सूचना :-
उदाहरण जैसे जैसे समक्ष आते रहेंगे ब्लॉग पर प्रेषित करते रहेंगे (लगभग 50 मापनी तो लय बाधा दोष परिलक्षित होने के कारण छोड़ दी गई हैं । शेष इनमें भी किसी छंद की लय बाधा प्रतीत होती है तो उस छंद को नाम सहित निकाल दिया जाएगा।
विज्ञात छंद की मापनी एव गण
1.
रमेश छंद
■ रमेश छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
122 222
122 122 22
यगण मगण
यगण यगण गुरु गुरु (गा गा)
उदाहरण : -
बुलाके देखो तो, हमारे प्रभो आयेंगे
मिलेंगे भोले जी, उन्हें जो इन्हें ध्याएँगे।।
संजय कौशिक 'विज्ञात'
2.
सुशीला छंद
■ सुशीला छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
122 222
122 212 22
यगण मगण
यगण रगण गुरु गुरु (गा गा)
उदाहरण:-
हमारे आने से, जहाँ पे हर्ष छाये हैं।
बड़े वो मीठे जो, क्षणों ने गीत गाये हैं।।
घटाएं गाती हैं, जहाँ पे राग प्यारे से।
दिखाती बातों में, निभाती नेह न्यारे से।।
घरों की रोती हैं, वही प्राचीन सी भीतें।
सदा से ही देखी, यहाँ पे टूटती रीतें।।
संजय कौशिक 'विज्ञात'
3.
लक्ष्य छंद
■ लक्ष्य छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
122 222
122 221 22
यगण मगण
यगण तगण गुरु गुरु (गा गा)
4.
सुमित छंद
■ सुमित छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
122 222
122 222 12
यगण मगण
यगण मगण लघु गुरु (लगा)
5.
ध्रुव छंद
■ ध्रुव छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
122 222
122 222 21
यगण मगण
यगण मगण गुरु लघु (गाल)
6.
दीक्षा छंद
■ दीक्षा छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
122 222
212 212 22
यगण मगण
रगण रगण गुरु गुरु (गा गा)
7.
प्रभात छंद
■ प्रभात छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
122 222
221 221 22
यगण मगण
तगण तगण गुरु गुरु (गा गा)
8.
उज्ज्वला छंद
■ उज्ज्वला छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
122 222
212 222 12
यगण मगण
रगण मगण लघु गुरु (लगा)
9.
कृत्तिका छंद
■ कृत्तिका छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
122 222
212 222 21
यगण मगण
रगण मगण गुरु लघु (गाल)
10.
आस छंद
■ आस छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
122 222
221 212 22
यगण मगण
तगण रगण गुरु गुरु (गा गा)
11.
दिनकर छंद
■ दिनकर छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
122 222
221 221 22
यगण मगण
तगण तगण गुरु गुरु (गा गा)
12.
नलिन छंद
■ नलिन छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
122 222
221 222 12
यगण मगण
तगण मगण लघु गुरु (लगा)
13.
सुमा छंद
■ सुमा छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
122 222
221 222 21
यगण मगण
तगण मगण गुरु लघु (गाल)
14.
सपना छंद
■ सपना छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
122 222
222 122 21
यगण मगण
मगण यगण गुरु लघु (गाल)
15.
सुवासिता छंद
■ सुवासिता छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
122 222
222 122 12
यगण मगण
मगण यगण लघु गुरु (लगा)
उदाहरण :-
उधारी की पूंजी, बेटी यूँ पराई हुई।
लिए संकल्पों से, रोती सी विदाई हुई।।
संजय कौशिक 'विज्ञात'
16.
गुल छंद
■ गुल छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
122 222
222 212 12
यगण मगण
मगण रगण लघु गुरु (लगा)
17.
प्रांजलि छंद
■ प्रांजलि छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
122 222
222 212 21
यगण मगण
मगण रगण गुरु लघु (गाल)
18.
वीणा छंद
■ वीणा छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
122 222
222 221 12
यगण मगण
मगण तगण लघु गुरु (लगा)
उदाहरण :-
बजे मीठी वीणा, बंशी जैसा वाद्य जहाँ।
सभी झूमें नाचें, ग्वाले राधा कृष्ण वहाँ।।
संजय कौशिक 'विज्ञात'
19.
विधा छंद
■ विधा छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
212 222
122 122 22
रगण मगण
यगण यगण गुरु गुरु (गा गा)
20.
गोपी छंद
■ गोपी छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
212 222
122 212 22
रगण मगण
यगण रगण गुरु गुरु (गा गा)
21.
धरा छंद
■ धरा छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
212 222
122 221 22
रगण मगण
यगण तगण गुरु गुरु (गा गा)
22.
निरंतर छंद
■ निरंतर छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
212 222
122 222 12
रगण मगण
यगण मगण लघु गुरु (लगा)
23.
ऋचा छंद
■ ऋचा छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
212 222
122 222 21
रगण मगण
यगण मगण गुरु लघु (गाल)
24.
मनीषी छंद
■ मनीषी छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
212 222
212 212 22
रगण मगण
रगण रगण गुरु गुरु (गा गा)
25.
रीत छंद
■ रीत छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
212 222
221 221 22
रगण मगण
तगण तगण गुरु गुरु (गा गा)
26.
प्रज्ञ छंद
■ प्रज्ञ छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
212 222
212 222 12
रगण मगण
रगण मगण लघु गुरु (लगा)
27.
आख्या छंद
■ आख्या छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
212 222
212 222 21
रगण मगण
रगण मगण गुरु लघु (गाल)
28.
यथार्थ छंद
■ यथार्थ छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
212 222
221 212 22
रगण मगण
तगण रगण गुरु गुरु (गा गा)
29.
बोध छंद
■ बोध छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
212 222
221 221 22
रगण मगण
तगण तगण गुरु गुरु (गा गा)
30.
दीप्ति छंद
■ दीप्ति छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
212 222
221 222 12
रगण मगण
तगण मगण लघु गुरु (लगा)
31.
दिव्य छंद
■ दिव्य छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
212 222
221 222 21
रगण मगण
तगण मगण गुरु लघु (गाल)
32.
विद्योत्तमा छंद
■ विद्योत्तमा छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
212 222
222 122 21
रगण मगण
मगण यगण गुरु लघु (गाल)
33.
विद्या छंद
■ विद्या छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
212 222
222 122 12
रगण मगण
मगण यगण लघु गुरु (लगा)
34.
शर्वरी छंद
■ शर्वरी छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
212 222
222 212 12
रगण मगण
मगण रगण लघु गुरु (लगा)
35.
अनंत छंद
■ अनंत छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
212 222
222 212 21
रगण मगण
मगण रगण गुरु लघु (गाल)
उदाहरण :-
वाद्य की वीणा से, गूँजे भू और आकाश।
तार के रागों ने, बाँधा यूँ दिव्य सा पाश।।
संजय कौशिक 'विज्ञात'
36.
सुज्ञ छंद
■ सुज्ञ छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
212 222
222 221 12
रगण मगण
मगण तगण लघु गुरु (लगा)
37.
विज्ञ छंद
■ विज्ञ छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
221 222
122 122 22
तगण मगण
यगण यगण गुरु गुरु (गा गा)
उदाहरण :-
वो पीर भी रोई, डरी व्यंजना चिल्लाई।
यूँ धैर्य को ढूँढे, गिरी जो गिरी से राई।।
संजय कौशिक 'विज्ञात'
38.
विज्ञातात्मा छंद
■ विज्ञातात्मा छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
221 222
122 212 22
तगण मगण
यगण रगण गुरु गुरु (गा गा)
39.
अचला छंद
■ अचला छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
221 222
122 221 22
तगण मगण
यगण तगण गुरु गुरु (गा गा)
40.
व्याघ्र छंद
■ व्याघ्र छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
221 222
122 222 12
तगण मगण
यगण मगण लघु गुरु (लगा)
41.
मेधा छंद
■ मेधा छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
221 222
122 222 21
तगण मगण
यगण मगण गुरु लघु (गाल)
42.
विदुषी छंद
■ विदुषी छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
221 222
212 212 22
तगण मगण
रगण रगण गुरु गुरु (गा गा)
उदाहरण:-
आकाश का गामी,भू पखेरू पड़ा देखा।
संताप से रोता, राम के नेह का लेखा।।
संजय कौशिक 'विज्ञात'
43.
विदिता छंद
■ विदिता छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
221 222
221 221 22
तगण मगण
तगण तगण गुरु गुरु (गा गा)
44.
विपुला छंद
■ विपुला छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
221 222
212 222 12
तगण मगण
रगण मगण लघु गुरु (लगा)
45.
वृंदा छंद
■ वृंदा छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
221 222
212 222 21
तगण मगण
रगण मगण गुरु लघु (गाल)
46.
विधायनी छंद
■विधायनी छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
221 222
221 212 22
तगण मगण
तगण रगण गुरु गुरु (गा गा)
47.
साँची छंद
■ साँची छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
221 222
221 221 22
तगण मगण
तगण तगण गुरु गुरु (गा गा)
48.
स्निग्धा छंद
■ स्निग्धा छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
221 222
221 222 12
तगण मगण
तगण मगण लघु गुरु (लगा)
उदाहरण :-
आकाश भी रोया, रोई धरा भी कष्ट में।
यूँ आज कोरोना, खाता दिखा है स्पष्ट में।।
संजय कौशिक 'विज्ञात'
49.
विद्यांशी छंद
■ विद्यांशी छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
221 222
221 222 21
तगण मगण
तगण मगण गुरु लघु (गाल)
50.
इंदुप्रभा छंद
■ इंदुप्रभा छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
221 222
222 122 21
तगण मगण
मगण यगण गुरु लघु (गाल)
51.
विमला छंद
■ विमला छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
221 222
222 122 12
तगण मगण
मगण यगण लघु गुरु (लगा)
52.
विन्देश्वरी छंद
■ विन्देश्वरी छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
221 222
222 212 12
तगण मगण
मगण रगण लघु गुरु (लगा)
53.
कृतिशिखा छंद
■ कृतिशिखा छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
221 222
222 212 21
तगण मगण
मगण रगण गुरु लघु (गाल)
54.
उर्वशी छंद
■ उर्वशी छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 122
122 122 22
मगण यगण
यगण यगण गुरु गुरु (गा गा)
55.
प्रज्ञा छंद
■ प्रज्ञा छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 122
122 212 22
मगण यगण
यगण रगण गुरु गुरु (गा गा)
56.
शिल्पशिखा छंद
■ शिल्पशिखा छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 122
122 221 22
मगण यगण
यगण तगण गुरु गुरु (गा गा)
57.
यशस्वी छंद
■ यशस्वी छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 122
122 222 12
मगण यगण
यगण मगण लघु गुरु (लगा)
58.
काव्यशिखा छंद
■ काव्यशिखा छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 122
122 222 21
मगण यगण
यगण मगण गुरु लघु (गाल)
59.
रत्नप्रभा छंद
■ रत्नप्रभा छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 122
212 212 22
मगण यगण
रगण रगण गुरु गुरु (गा गा)
60.
रत्नावली छंद
■ रत्नावली छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 122
221 221 22
मगण यगण
तगण तगण गुरु गुरु (गा गा)
61.
रिद्धिमा छंद
■ रिद्धिमा छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 122
212 222 12
मगण यगण
रगण मगण लघु गुरु (लगा)
62.
सुधी छंद
■ सुधी छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 122
212 222 21
मगण यगण
रगण मगण गुरु लघु (गाल)
63.
अर्णव छंद
■ अर्णव छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 122
221 212 22
मगण यगण
तगण रगण गुरु गुरु (गा गा)
64.
नव्या छंद
■ नव्या छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 122
221 221 22
मगण यगण
तगण तगण गुरु गुरु (गा गा)
65.
प्रारम्भिक छंद
■ प्रारम्भिक छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 122
221 222 12
मगण यगण
तगण मगण लघु गुरु (लगा)
66.
विख्यात छंद
■ विख्यात छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 122
221 222 21
मगण यगण
तगण मगण गुरु लघु (गाल)
67.
स्वस्तिक छंद
■ स्वस्तिक छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 122
222 122 21
मगण यगण
मगण यगण गुरु लघु (गाल)
68.
विद्यांश छंद
■ विद्यांश छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 122
222 122 12
मगण यगण
मगण यगण लघु गुरु (लगा)
69.
विज्ञांश छंद
■ विज्ञांश छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 122
222 212 12
मगण यगण
मगण रगण लघु गुरु (लगा)
70.
निष्णात छंद
■ निष्णात छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 122
222 212 21
मगण मगण
मगण रगण गुरु लघु (गाल)
71.
कोविद छंद
■ कोविद छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 212
122 122 22
मगण रगण
यगण यगण गुरु गुरु (गा गा)
72.
विज्ञांशी छंद
■ विज्ञांशी छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 212
122 212 22
मगण रगण
यगण रगण गुरु गुरु (गा गा)
73.
जागृति छंद
■ जागृति छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 212
122 221 22
मगण रगण
यगण तगण गुरु गुरु (गा गा)
74.
मयंक छंद
■ मयंक छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 212
122 222 12
मगण रगण
यगण मगण लघु गुरु (लगा)
75.
चेतन छंद
■ चेतन छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 212
122 222 21
मगण रगण
यगण मगण गुरु लघु (गाल)
76.
भुवि छंद
■ भुवि छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 212
212 212 22
मगण रगण
रगण रगण गुरु गुरु (गा गा)
77.
लावण्य छंद
■ लावण्य छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 212
221 221 22
मगण रगण
तगण तगण गुरु गुरु (गा गा)
78.
सारांश छंद
■ सारांश छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 212
212 222 12
मगण रगण
रगण मगण लघु गुरु (लगा)
79.
अग्रिमा छंद
■ अग्रिमा छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 212
212 222 21
मगण रगण
रगण मगण गुरु लघु (गाल)
80.
सुगंध छंद
■ सुगंध छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 212
221 212 22
मगण रगण
तगण रगण गुरु गुरु (गा गा)
81.
प्रेम छंद
■ प्रेम छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 212
221 221 22
मगण रगण
तगण तगण गुरु गुरु (गा गा)
82.
विराट छंद
■ विराट छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 212
221 222 12
मगण रगण
तगण मगण लघु गुरु (लगा)
83. शाश्वत छंद
■ शाश्वत छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 212
221 222 21
मगण रगण
तगण मगण गुरु लघु (गाल)
84.
स्वयं छंद
■ स्वयं छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 212
222 122 21
मगण रगण
मगण यगण गुरु लघु (गाल)
85.
आर्यन छंद
■ आर्यन छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 212
222 122 12
मगण रगण
मगण यगण लघु गुरु (लगा)
86.
राधेगोपाल छंद
■ राधेगोपाल छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 212
222 212 12
मगण रगण
मगण रगण लघु गुरु (लगा)
उदाहरण :-
(1)
भूखा हो पेट जो, दो हीरे लाख दान में।
खाता है कौन यूँ, रत्नों के भोज्य मान में।।
संजय कौशिक 'विज्ञात'
(2) मुक्तक
लाई पाती वही , संदेशा आज नेह का।
पीड़ा वैराग्य में, भूले जो कष्ट देह का।
आना तो था उन्हें, पाती ये धन्य सी हुई।
भूले हैं वो मुझे, पूछें यूँ हाल गेह का।।
संजय कौशिक 'विज्ञात'
87.
वीरेंद्र छंद
■ वीरेंद्र छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 212
222 212 21
मगण रगण
मगण रगण गुरु लघु (गाल)
88.
हरियाणा छंद
■ हरियाणा छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 212
222 221 12
मगण रगण
मगण तगण लघु गुरु (लगा)
89.
निर्भीक छंद
■ निर्भीक छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 221
122 122 22
मगण तगण
यगण यगण गुरु गुरु (गा गा)
90.
सगुणा छंद
■ सगुणा छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 221
122 212 22
मगण तगण
यगण रगण गुरु गुरु (गा गा)
91.
विपिन छंद
■ विपिन छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 221
122 221 22
मगण तगण
यगण तगण गुरु गुरु (गा गा)
92.
वियोना छंद
■ वियोना छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 221
122 222 12
मगण तगण
यगण मगण लघु गुरु (लगा)
93.
विविता छंद
■ विविता छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 221
122 222 21
मगण तगण
यगण मगण गुरु लघु (गाल)
94.
विविक्ता छंद
■ विविक्ता छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 221
212 212 22
मगण तगण
रगण रगण गुरु गुरु (गा गा)
95.
भारत छंद
■ भारत छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 221
221 221 22
मगण तगण
तगण तगण गुरु गुरु (गा गा)
96.
विषिमा छंद
■ विषिमा छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 221
212 222 12
मगण तगण
रगण मगण लघु गुरु (लगा)
97.
क्षिर्जा छंद
■ क्षिर्जा छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 221
212 222 21
मगण तगण
रगण मगण गुरु लघु (गाल)
98.
स्नेहा छंद
■ स्नेहा छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 221
221 212 22
मगण तगण
तगण रगण गुरु गुरु (गा गा)
उदाहरण:
स्नेहा सा ये छंद, आसान है लिखो सारे।
धर्मो के संस्कार, यूँ काव्य के निभें प्यारे।।
संजय कौशिक 'विज्ञात'
99.
स्नेहिल छंद
■ स्नेहिल छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 221
221 221 22
मगण तगण
तगण तगण गुरु गुरु (गा गा)
100.
संस्कृति छंद
■ संस्कृति छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 221
221 222 12
मगण तगण
तगण मगण लघु गुरु (लगा)
101.
भारत छंद
■ भारत छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 221
221 222 21
तगण तगण
मगण मगण गुरु लघु (गाल)
102.
अजिर छंद
■ अजिर छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 221
222 122 21
मगण तगण
मगण यगण गुरु लघु (गाल)
103.
गुनिता छंद
■ गुनिता छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 221
222 122 12
मगण तगण
मगण यगण लघु गुरु (लगा)
104.
हर्षिता छंद
■ हर्षिता छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 221
222 212 12
मगण तगण
मगण रगण लघु गुरु (लगा)
105.
नंदिनी छंद
■ नंदिनी छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 221
222 212 21
मगण तगण
मगण रगण गुरु लघु (गाल)
106.
विप्सा छंद
■ विप्सा छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। सम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए। मापनी का वाचिक रूप मान्य होगा।
222 221
222 221 12
मगण तगण
मगण तगण लघु गुरु (लगा)
छंद रचयिता - संजय कौशिक 'विज्ञात'
कलम की सुगंध परिवार के लिए हनुमान जन्मोत्सव द्विगुणित खुशियों भरा रहा। अनेक कलमकारों ने इसपर अपनी कलम चलाई ।अपने नाम का छंद पाकर कलमकारों के मन में अत्यंत खुशी है जो उन्होंने शुभकानाओं के रूप में प्रेषित की। सभी को हार्दिक बधाई 💐💐💐💐
सादर नमन गुरुदेव 🙏
ReplyDelete106 नूतन छंदों के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं 💐💐💐💐
आपके अथक प्रयास को नमन 🙏🙏🙏
कवि परिवार को अनंत बधाइयाँ एवं शुभकामनाएं
ReplyDeleteहनुमान जन्मोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ 💐💐💐
अद्वितीय ! अद्भुत।
ReplyDeleteहम सारा दिन समय का रोना लिए बैठे रहते हैं और आप श्री सृजन के नये प्रतिमान गढ़ते रहते हैं।
आप तो अपने अन्वेषण से अमर होगें ही साथ ही सुगुरु के सानिध्य में हमारा नाम भी साहित्य विथिका में प्रकाशित होगा ।हम ऐसा गुरु पाकर धन्य हुए।
अनंतानंत बधाईयां एवं हार्दिक आभार गुरुदेव।
छंद का अथाह सागर , अथक प्रयास बधाई 🙏🙏
ReplyDeleteवाह अद्भुत 106 छंदों के शिल्प सृजन के लिए हार्दिक बधाई 👏👏👏👏 गुरुदेव के लिए सब संभव है। सादर नमन 🙏
ReplyDeleteगुरूदेव प्रणाम आपको । नमन करती हूँ । अनुपम अनोखा कार्य किया है आपने । सोच से परे । यही विशिष्ट सोच आपको गुरूदेव बनाती है । 106 नूतन छंद का आविष्कार कर दिया आपने । शुभ दिवस हनुमान जयंती के अवसर पर हम शिष्यो और रचनाकारों के लिए विशिष्ट दिवस बना दिया आपने । हम सभी भी प्रेरणा लेकर कुछ ऐसा कभी कर पाये तो ये आपकी प्रेरणा है । आज उत्सव नहीं महोत्सव का दिन है सचमुच हम अपने आपको बहुत ही गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं । अशेष शुभकामनाएँ और बधाई इस नेक और शानदार कार्य के दिए । चरण वंदन । सभी रचनाकारों को बधाईयाँ जिनका नाम इसमें सम्मिलित है । सभी अपने नाम के छंद का एक उदाहरण अवश्य यहाँ भी प्रेषित करें ।
ReplyDeleteशत शत बधाइयां आदरणीय गुरुदेव
ReplyDeleteहमें गर्व है आप पर
नमन आपको 🙏💐
अप्रतिम अद्भुत आदरणीय गुरुदेव यह कार्य आप ही कर सकते हैं।हम जैसे शिष्य तो आपकी अपेक्षाएं पूरी नहीं कर सके।इसके लिए आपसे क्षमा चाहते हैं। ईश्वर आपकी लेखनी से इसी तरह चमत्कार करवाते रहें। शत-शत नमन आपको🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
ReplyDeleteशत् शत् बधाई आदरणीय गुरुदेव💐💐🙏🙏
ReplyDeleteशत शत बधाई नमन
ReplyDeleteअद्भुत, सादर नमन आदरणीय🙏🙏106 नूतन छंदों के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय, ईश्वर की कृपा सदा आप पर बनी रहे,बस यही प्रार्थना है🙏🙏
ReplyDeleteबहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ आपको आदरणीय श्री।
ReplyDeleteअद्भुत, अनुपम कल्पना से परे,106 नये छंद का अविष्कार आपके कर कमल से हुआ साथ ही हमारे नाम से छंद बनना अनुपम उपहार है हम सबों के लिए, तहेदिल से हार्दिक आभार एवं बधाइयां स्वीकार कीजिए आ.रोज नये कीर्तिमान स्थापित आप करें, ईश्वर से यही प्रार्थना है।
ReplyDeleteनमन आपको एवं आपकी लेखनी को
किन शब्दों में आभार व्यक्त करूँ गुरुदेव आपका .... हम इस योग्य नही हैं की नया छंद निर्मित कर सकें पर आपने अपनी साधना से प्राप्त प्रसाद को हम सभी के साथ साझा किया। हम सबके नाम से छंद बनाकर हमारे नाम को सार्थक कर दिया। पूरा प्रयास करेंगे कि अपने नाम के साथ-साथ अपने छंद को भी अपनी पहचान बना सकें 🙏
ReplyDeleteपुनः हृदयतल से आभार और ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं 💐💐💐💐💐💐💐💐
माता शारदे का आशीर्वाद सदा आपको नई दिशा दिखाता रहे और साहित्य जगत में आपका नाम अनंत काल तक चमके 🙏
गुरु जी निःशब्द हूँ
ReplyDeleteआप धन्य है और आप सा गुरुदेव पाकर हम लोग धन्य हैं।
सौभाग्य है कि आपका स्नेहिल आशीष हमें मिला हुआ
है ।
ये कल्पना के परे है। 106 नियम और छन्द उन सीमित वर्ण और मात्रा में बनाना असंभव कार्य को करने के ही समान है। इतनी लगन और निष्ठा कि आप अपने साथ
सबको ले कर चल रहे ।
नियम बना कर तो असंभव संभव कर दिखाया
पर ये कल्पना करना कि ऐसा करना है ये ही बहुत बड़ी बात है।
कल मैं ये ही सोच कर अचंभित थी और अपने पतिदेव से कहा भी कि इतने दिनों से नवगीत के लिए लगातार
पंक्तियां देना कोई बिरला ही कर सकता है
और आज आपने उससे भी बड़ा कार्य कर अचंभित कर दिया
सादर वंदन गुरुदेव
सादर प्रणाम! आदरणीय गुरुदेव जी
ReplyDeleteलोग छंदों से दुर भागते हैं या दो चार छंद पर कुछ रचनायें लिखकर खुद को ज्ञानी मानने लगते हैं। आपने नये छंदों की रचना को मूर्त रूप दिया है। और वो भी एक दो नहीं पूरे
ReplyDelete106 नये छंदों का सृजन कर आपने अद्वितीय मिसाल प्रस्तुत
किया है। मात्राओं के सारे परम्यूटेशन कांबिनेशन आपने खंगाल लिये हैं। छंद के नामों में साथी रचनाकारों को स्थान देना आपके कुशल नेतृत्वकर्ता होने का प्रमाण है।।
कोटिश: बधाईयां एवं शुभकामनायें।।
आप सभी की सशक्त लेखनी प्रेरणा है हमारे लिए ... आप सभी बहुत सुंदर लिखते हैं योग्य हैं गुणी हैं। आप सभी को पढ़ पाना मेरे लिए गर्व की बात है। जितनी सुंदर आप सभी की लेखनी है उतना ही सुंदर आप सभी का मन भी है अतः आप सभी विज्ञातात्मा की ऊर्जा हैं आप सभी को नमन 🙏🙏🙏 और विश्वास है आप सभी की लेखनी इसी प्रकार से नित नए सुंदर और आकर्षक आयाम गढ़ती रहेगी। और नित नूतन नव्यता से सराबोर रहेगी। सुंदर सुंदर भावों की बगिया महकती रहेगी। आइये बढ़ते हैं उस ओर जिस ओर से आपकी कलम की सुगंध साहित्यिक पृष्ठ भूमि को महकाती रहती है सृजन करें और कुछ अच्छे उदाहरण प्रस्तुत करें ....
ReplyDeleteसादर वंदन गुरुदेव 🙏
Deleteप्रणाम आदरणीय गुरूदेव जी । जरूर प्रयास रही रहेगा ।
Deleteदुनियाँ जहाँ डर डर जी रही है वहाँ सबको लेखन माध्यम से उत्साह संचार कर डर को जैसे दूर कर दिया हो इस भयवह काल मे भी सकारात्मक सोंच के साथ नया कीर्ति मान स्थापित कर आपने मा शारदे के पुत्र होने का अद्भुत परिचय दिया है नमन करती हुँ साथ ही अपने संग हमे भी कृतार्थ कर दिया है सहज साथ लेकर चलने वाले आप नये कीर्ति मान गढते रहे अनंत शुभकामनाएं आपको और आपका सानिध्य प्राप्त हुआ अत्यंत गदगद हूँ कि ऐसे महान विज्ञ का साथ आशीष मुझे मिल रहा है 106छंदो की मिशाल बनना हमारे लिए साक्षी होना गौरवमय है
ReplyDeleteधनेश्वरी सोनी गुल
सादर प्रणाम गुरुदेव
ReplyDeleteकोहिनूर छंद भी बना दीजिये गुरुदेव
ReplyDelete106 नूतन छंद रचकर आपने इतिहास बना दिया , इसमें अपना नाम देखकर बहुत गौरवान्वित महसूस कर रही हूँ मानो मैं भी इस यज्ञ की एक समिधा बन सकी । आपका आशीर्वाद और स्नेह , मार्गदर्शन सदैव मिलता रहे यही प्रार्थना है । ढेर सारी शुभकामनाएं व बधाईयाँ गुरुदेव
ReplyDelete*दीक्षा छंद*
ReplyDelete■ दीक्षा छंद का शिल्प विधान ■
वार्णिक छंद है जिसकी मापनी और गण निम्न प्रकार से रहेंगे यह दो पंक्ति और चार चरण का छंद है जिसमें 6,8 वर्ण पर यति रहेगी। विषम चरण के तुकांत समान्त रहेंगे इस छंद में 11,14 मात्राओं का निर्धारण 6, 8 वर्णों में है किसी भी गुरु को लघु लिखने की छूट है इस छंद में लघु का स्थान सुनिश्चित है। लघु जहाँ है वहीं पर स्पष्ट आना चाहिए
122 222
212 212 22
यगण मगण
रगण रगण गुरु गुरु
नचाते हैं कृष्णा , देवियाँ गोपियाँ राधा ।
मिटाते हैं तृष्णा , मोहते तोड़ते बाधा ।।
रचाते हैं माया , आसुरी शक्तियाँ मारे ।
दिखाते हैं छाया , पापियों को वही तारे ।।
डॉ. दीक्षा चौबे
परम आदरणीय गुरुदेव जी को नमन वंदन 106 नूतन छंदों की रचना के लिए शुभकामनाएँ एवं हार्दिक बधाइयां। आपने हम सभी के नाम से नवीन छंदों की रचना कर गौरवान्वित किया है ।आपके अथक श्रम और दुरूह कार्य की हृदय की गहराईयों से सराहना करती हूँ। आप जैसे विद्वान गुरु की शरण में रहकर हम बहुत कुछ सीख रहे हैं। आपने इतना बड़ा उपहार दिया मेरे नाम से भी निरंतर छंद का निर्माण किया मैं आत्मविश्वास से भरी जा रही हूँ और आपका उपहार मोतियों से भी कीमती है इसे सँजो कर रखूँगी। इस छंद में सृजन हो इसके लिए प्रयास करूंगी। आपने इतना महान कार्य किया शब्द कम पड़ रहे हैं। भावांजलि अर्पित करती हूँ गुरुवर स्वीकार कीजिए।
ReplyDelete🙏🏻🙏🏻 आ.गुरुदेव जी को प्रणाम 🙏🏻🙏🏻
ReplyDeleteअनुपम, अद्वितीय सृजनशीलता आपको बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएं 🙏🏻🙏🏻
आदरणीय गुरदेव को सादर प्रणाम है106/ नूतन छंदों की रचना के लिये ढ़ेरो बधाई अनंत शुभकामनाएं बहुत सारी बधाइयां आपके साथ हम सबने बहुत कुछ सिखा बहुत छंदो को जाना हम सभी के लिये ये नूतन छंदो का निर्माण किया गौरवान्वित किया आपको आपकी कार्य शैली आपकी मेहनत को शत् शत् नमन करती हूँ
ReplyDeleteमै भाग्यशाली हूँ आपके इस परिवार में शामिल हूँ अनुपम सृजनशीलता आपकी बहुत बहुत बधाई शुभकामनाएं 🙏🙏🙏🙏🙏🌹
अद्भुतमिदम्... अकल्पनीय..आपकी मेधा और अनुसंधानिक लगन.और.साहित्यिक प्रेम को.प्रणाम...आदरणीय 🙏🙏
ReplyDeleteअति. सुंदर..💐💐💐💐
बहुत बहुत बधाई एवं सादर वंदन 🙇🙇💐💐🙏🙏
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