Tuesday, 27 April 2021

आख्या छन्द पर अनिता सुधीर 'आख्या' का गीत




 गुरुदेव संजय कौशिक 'विज्ञात' जी द्वारा निर्मित आख्या छन्द पर गीत

आख्या छन्द

212  222,  212  222 21

शारदे वाग्देवी, लेखनी को देतीं गान

है विधा ने ओढ़ी,चूनरी जो धानी लाल।
जो सजाएँ ज्ञानी,मुस्कुराया हिंदी काल।।
है निराले छंदों में,शिल्प का पूरा ये ज्ञान।
शारदे वाग्देवी,लेखनी को देतीं गान।।

थी खड़ी लाचारी,देखती बीमारी रोग।
लाभ लेते ज्ञानी,विद्वता भी देती योग।।
जो उठा है बीड़ा,उच्च हो भाषा का मान।
शारदे वाग्देवी, लेखनी को देतीं गान।।

नव्यता ले भाषा,ओढ़ती सज्जा को आज।
जो विधा को देखे,रागिनी ने छेड़े साज।।
*छंद आख्या* देखे ,दिव्यता भी धारे ध्यान।
शारदे वाग्देवी, लेखनी को देतीं गान।।

अनिता सुधीर आख्या


1 comment:

  1. बहुत सुंदर सखी शब्द नहीं है मेरे पास आपमें अद्भुत क्षमता है छंद सृजन की माँ शारदा सदा कृपया बनाये रखें ।
    अप्रतिम।

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