गुरुदेव संजय कौशिक 'विज्ञात' जी द्वारा निर्मित साँची छंद पर गीत
साँची छंद
221 222 , 221 221 22
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हनुमान बजरंगी
है आप का ही सहारा ।
कर त्याग चिंता का
नित नाम जपती तुम्हारा ।।
हो वीर अतुलित तुम
हे भक्त सिय के दुलारे ।
बनकर सखा तुम ही
सुग्रीव के दुख निवारे ।
जो भी शरण आया
दुख से तुम्हीं ने उबारा ।
हनुमान बजरंगी
है आप का ही सहारा ।।
सुत अंजना के बन
मद भानु का तोड़ आए ।
रुकते न क्षण भर भी
जब भक्त तुमको बुलाए ।
प्रभु नाम जो जप ले
पाता वही तो किनारा ।
हनुमान बजरंगी
है आप का ही सहारा ।।
सिय सुधि तुम्हीं लाए
लंका दनुज की जलाए ।
उड़ते फिरे अंबर
सुभदा पवन सुत कहाए ।
पीड़ित पतित जन का
जीवन तुम्हीं ने सँवारा ।
हनुमान बजरंगी
है आप का ही सहारा ।।
नित नाम हनुमत लो
सियराम आशीष पाओ ।
श्री राम के प्रिय को
कर वंदना ही मनाओ ।
बिन नाम हनुमत के
जग में नहीं है गुजारा ।
हनुमान बजरंगी
है आप का ही सहारा ।।
*इन्द्राणी साहू"साँची"*
भाटापारा (छत्तीसगढ़)
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बहुत बहुत सुंदर सृजन ।
ReplyDeleteभक्ति भाव से परिपूर्ण।
सुंदर शिल्प।
बधाई।