Wednesday, 28 April 2021

विज्ञ छंद पर बाबूलाल शर्मा , बौहरा, विज्ञ जी की रचना


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आ. संजय कौशिक विज्ञात जी का आविष्कृत-

.                🦢 *विज्ञ छंद*  🦢

विधान:-  वर्णिक छंद है १४ वर्ण का

२२१ २२२, १२२ १२२ २२

तगण मगण, यगण यगण गुरु गुरु

६, ८  वर्ण पर यति रहे

५, १२, व १७ वीं मात्रा लघु अनिवार्य है।

गुरु = लघु लघु संभव है

चार चरण, दो पंक्ति सम चरण सम तुकांत हो।

विज्ञ छंद में मापनी का वाचिक रूप भी मान्य है।


.             🌼 *हनुमान बजरंगी* 🌼

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हनुमान   बालाजी, दुलारे  लखन  राघव  के।

प्रभु आप की महिमा, सुनाएँ परम-लाघव के।।


सुग्रीव  सम  संगी, बनाए  भलुक कपि सारे।

अंगद  रखे  तारा, व  बाली  सहज प्रभु मारे।।


ढूँढी  सिया  माता, गये तुम जलधि तर खारे।

धीरज  बँधाया  था, सिया ने तनय कह तारे।।


रावण  महा पापी, धरा सुर जलधि भय शंका।

अभिमान कुचला था, जलाए नगर गढ़ लंका।।


लक्ष्मण हुए मूर्छित, पवन सुत मरुतगति धाए।

हनुमान  बजरंगी, सजीवन गिरि सहित  लाए।।


राक्षस  सभी  मारे, विभीषण प्रजा प्रतिपाली।

लौटे  अयोध्या  तब, मनी  घर  नगर दीवाली।।

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✍©

बाबू लाल शर्मा,बौहरा,विज्ञ

सिकन्दरा, दौसा, राजस्थान


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दूसरी रचना 

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~~~~~~~~~~~~~~_बाबूलालशर्मा,विज्ञ_

श्री संजय कौशिक विज्ञातजी द्वारा आविष्कृत-

.              🦢 *विज्ञ छंद* 🦢

~मापनी- २२१ २२२, १२२ १२२ २२ वाचिक


यह गर्म लू चलती, भयानक  तपिश घर बाहर।

कुछ मित्र भी कहते,अचानक नगर की आकर।

आकाश रोता रवि, धरा शशि विकल हर माता।

यह  रोग  कोरोना, पराजित  मनुज थक गाता।


पितु मात छीने है, किसी  घर  तनय  बहु बेटी।

यह मौत का साया, निँगलता  मनुज  आखेटी।

मजदूर भूखे  घर, निठल्ले  स्वजन  जन  सारे।

बीमार जन शासन, चिकित्सक  पड़े  मन हारे।


तन साँस सी घुटती, सुने  जब खबर मौतों की।

मन फाँस बन चुभती, पराए  सुजन  गोतों की।

नाते  हुए  थोथे, विगत  सब  रहन ब्याजों  के।

ताले  जड़े  मुख  पर, लगे घर विहग बाजों के।

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.      ✍©

बाबू लाल शर्मा,बौहरा,विज्ञ

सिकन्दरा, दौसा, राजस्थान

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5 comments:

  1. बहुत ही सुंदर रचना 👌
    आपकी लेखनी को नमन आदरणीय 🙏
    ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं 💐💐💐

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  2. बहुत ही शानदार आदरणीय विज्ञ जी रचना पढधने में आंनद तो आया ही और इसे गाने में और भी सुखद अनुभुति हुई बहुत सुंदर🙏🙏🙏🙏

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  3. बहुत ही सुन्दर सृजन भैया जी
    बहुत बहुत बधाई

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  4. वाह!शानदार सृजन आदरणीय नमन आपको🙇🙇💐💐🙏🙏

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  5. अति उत्तम सृजन आ0

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