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~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा *विज्ञ*
श्री संजय कौशिक विज्ञात प्रदत्त-
. *कुमकुम छंद*
मापनी- २१२ २२२ प्रति चरण
वाचिक मात्रा भार मान्य
चार चरण, समचरण समतुकांत
*नवगीत - बिछुड़ते मीत गए*
. °°°°°°°
गीत बन ढाल रहे
.स्वप्न दुख जीत गए
संग साथी कोविड
. बिछुड़ते मीत गये
देश पर देश खबर
. काग हँस चील रहे
. मौन कोकिला हुई
. काल डस ब्याल रहे
. लाश लावारिश सब
मेघ कह शोक गये।
संग साथी कोविड़
बिछुड़ते मीत गए।।
शून्य के पंथ चले
. रीत रो प्रीत पड़ी
. मानवी भाव बना
. संग है रोग कड़ी
. दूरियाँ नष्ट हुई
धूप ले प्रात गये।
संग साथी कोविड
बिछुड़ते मीत गए।।
खेत में धान पके
. ले किसान कब दवा
. तीर विष धार लिए
. मौन ले साध हवा
. होंठ सूख कर स्वयं
अश्रु बह रीत गये।
संग साथी कोविड
बिछुड़ते मीत गए।।
देव ये स्वर्ग बसे
. काल के दूत भ्रमे
. रक्त बीज बन रहे
. गंध विष घोल चले
. नव विषाणु विरह के
खिल रहे क्लेश नये
संग साथी कोविड
बिछुड़ते मीत गए।।
. °°°°°°°
✍©
बाबू लाल शर्मा *विज्ञ*
बौहरा भवन
सिकंदरा,दौसा, राजस्थान
👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀
दूसरी रचना
👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀👀~~~~~~~_बाबूलालशर्मा,विज्ञ_
श्री संजय कौशिक विज्ञातजी प्रदत्त-
. 🦢 *कुमकुम छंद* 🦢
मापनी- २१२ २२२ प्रतिचरण वाचिक
चार चरण, समचरण समतुकांत
.🌼 *याद रह जाएगी* 🌼
. ••••••••••
आस तुम पर बचती, साँस तुम से चलती।
जब चले तन राही, तुम रहो सच खिलती।
छंद तुम पर लिख दूँ, मेघ बन के सावन।
गीत नित्य रचेंगे, पीर बन के पावन।
गीत तुम संग सजे, छंद सतरंग लिखे।
मौन मन चंग धरे, गीत जब ढंग रखे।
नींद तय आएगी, मौत को लाएगी।
छंद शेष रहेंगे, याद रह जाएगी।
अश्रु रोक कर रखें, धैर्य धार तुम रहो।
छंद गीत बन रहूँ, रीति प्रीति मय बहो।
जन्म और जब मिले, प्रेम रंग फिर जमें।
याद तुम आओगी, बात याद कर हमें।
. 🦢🦢🦢
....✍©
बाबू लाल शर्मा,बौहरा,विज्ञ
सिकंदरा, दौसा, राजस्थान
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बेहतरीन सृजन 👌 आ.
ReplyDeleteशानदार रचना
ReplyDelete. काग हँस चील रहे
ReplyDelete. मौन कोकिला हुई।
वाह बहुत ही सुन्दर सृजन भैया जी नमन है आप को और आप की लेखनी को।
नूतन छंद की हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐💐💐
ReplyDeleteबहुत ही शानदार रचनाएँ आदरणीय 🙏