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~~~~~~~~~_बाबूलालशर्मा,विज्ञ_
श्री संजय कौशिक विज्ञात प्रदत्त-
. 🦢 *शांता छंद* 🦢
मापनी- १२२ १२२ २२ वाचिक
••• *विजन वात वह वातायन* •••
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कठिन पथ सुयश का साथी
सरल है क्षणिक सुख मिलना।
अगम दल कमल खुशियों के
सुगम नित सुमन का खिलना।
वहम वर सुखद जीवन का
व्यथित वह रहा कर मन को
मरण तय नियम प्राकृत का
दुखित नित रहा कर तन को।
व्यजन व्यंजना वर विमला
विजन वात वह वातायन।
चकित चक्षु चंचल चर चितवन
कलम कामिनी कविता मन।
परम पूज्य पावन पाहन
पलक पुण्य पारावर पल।
जलज जाल जंगल जीवन
जलद जीव जंगम जन जल।
. 🦢🦢🦢
.. ✍©
बाबू लाल शर्मा,बौहरा,विज्ञ
सिकन्दरा, दौसा, राजस्थान
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दूसरी रचना
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~~~~~~~~~_बाबूलालशर्मा,विज्ञ_
श्री संजय कौशिक विज्ञात प्रदत्त-
. *...शांता छंद...*
मापनी- १२२ १२२ २२ वाचिक
•••• *दुखद पुरवाई* ••••
लगी है पवन अब सुलगी
धरा पर अगन बरसाती।
किसी को तपन ज्वर भारी
कहीं है दुखित तन छाती।
बही है दुखद पुरवाई,
विरह मन सहित यह पगली।
मिलन कब स्वजन से होना,
सुनेंगें कथा क्या अगली।
महामारियाँ सुनते थे,
अभी यह सहन की हमने।
बताते यही है औषध,
सजग रह यत्न कर अपने।
गुजारो कठिन पल साथी,
समर यह समझ कर भारी।
बहेगी सरित फिर पावन
सँभाले गगन छत धारी।
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.....✍©
बाबू लाल शर्मा बौहरा विज्ञ
सिकन्दरा, दौसा राजस्थान
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नूतन छंद की हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐💐💐
ReplyDeleteबहुत ही शानदार लेखन आदरणीय 🙏
नूतन छंदों के निर्माण आपका यह प्रयास सदैव सराहनीय रहेगा । अनंत बधाई एवं शुभकामनाएं 💐💐💐
ReplyDeleteसुंदर प्रयास.. अनंत बधाइयां
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