आ. गुरुवर संजय कौशिक विज्ञात जी,
के मार्गदर्शन में अनुराधा चौहान 'सुधी' जी द्वारा आविष्कृत-नवीन छंद-
उपजाति सुधी सवैया
२३ वर्ण, १२,११ पर यति
१२१ १२१ १२१ ११२,
१२१ १२१ १२२ १२
संगिनी
उठो सजनी नवभोर चहके,
सजे अरमान हमारे नए।
चलें नव पंथ प्रकाशित करें,
बुरे दिन रात बहाने गए।
भरें हम प्रीति सनेह मन में,
सुभाषित बोल सुहाने हुए।
कहें मन पीर मिलो तुम प्रिये,
परस्पर चोंच पखेरू छुए।
सुगंधित जीवन नेह तुमसे,
हमे इस कष्ट सही देह में।
सहेज रखूँ इसको हृदय में,
धरोहर जीवन में गेह में।
हरो प्रिय मानस कष्ट तन के,
रखो दृग कोर हमें नेह में।
बनें घन श्याम रहें हम सहें,
उड़ें नभ मेघ बने मेह में।
*बाबू लाल शर्मा,बौहरा,'विज्ञ'*
*सिकन्दरा, दौसा, राजस्थान*
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