Monday 9 August 2021

शान्ता सवैया शिल्प विधान और उदाहरण

 आ. संजय कौशिक विज्ञात जी के

मार्गदर्शन में बाबू लाल शर्मा,बौहरा,'विज्ञ' जी द्वारा आविष्कृत-नवीन छंद को

"शान्ता सवैया" नाम दिया गया है।
यह वर्णिक सवैया है।
चार चरण का छंद है,
चारों चरण समतुकांत होने चाहिए।

 उपजाति शान्ता सवैया
विधान:--
२२ + ( ७× सगण ) + २२
२५ वर्ण, १३,१२ वें वर्ण पर यति हो
मापनी :--
२२ ११२ ११२ ११२ ११,
२ ११२ ११२ ११२ २२

मीरा - माधव
                  
राठौड़  बसा  पुर  मेड़तिया गढ़,
राज्य  करे कुल में  जनमे हीरा।
संस्कार मिले घर  बाल पने सब,
माधव को पति मान लिए मीरा।
संयोग बना पितु ब्याह किए तब,
भोज बने पति लौकिक जंजीरा।
चित्तौड़  रही  हरि  मंदिर मे नित,
नृत्य  करे  धुन  ढोलक  मंजीरा।

( जंजीरा~ जंजीर की आकृति
में, कपड़े पर सिलाई,कढ़ाई )
           
मीरा पति मान चुकी  मनमोहन,
भोज बने पति  रीति  बनी जैसे।
पूजा  करती  हरि मानस पावन,
दर्शन  अर्चन्   संगति  भी  वैसे।
संयोग  बने  हरि से  मन भावन,
सत्य वियोग  सहे पति  का ऐसे।
राणा  परिवार चिढ़े  उनसे  फिर,
भोज  सनातन  धर्म  निभे  कैसे।

*बाबू लाल शर्मा,बौहरा,'विज्ञ'*
*सिकन्दरा, दौसा, राजस्थान*

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