Wednesday, 30 October 2024

विज्ञात विटना छंद


 4 विज्ञात विटना छंद 

शिल्प विधान -

सम मात्रिक छंद की शृंखला में विज्ञात विटना छंद के 8 चरण होते हैं, चार पंक्ति होती हैं।

प्रथम पंक्ति के दो चरण 17,11 द्वितीय पंक्ति के दोनों चरण 17,11 इस प्रकार से मात्रा भार को ध्यान में रखते हुए लिखे जाते हैं। इसमें पहले चार चरण में मात्रा भार शिल्प विधान विभव विज्ञात छंद के समान ही रहता है 

प्रथम पंक्ति के दोनों चरण 11,17 द्वितीय पंक्ति के दोनों चरण 11,17 इस प्रकार से मात्रा भार को ध्यान में रखते हुए लिखे जाते हैं। इस प्रकार अंतिम चार चरण के शिल्प विधान में विज्ञात वैजयंती छंद के समान रहता है। 

साथ ही एक सावधानी और रखनी होती है विभव विज्ञात छंद का अंतिम तुकांत विज्ञात वैजयंती छंद के प्रथम चरण के अंत में तुकांत समान रखना अनिवार्य होता है।

यदि इस छंद के शिल्प विधान को वर्णिक दृष्टिकोण से समझना है तो यह स्पष्ट वाचिक मात्रा भार और शुद्ध वर्णिक छंद के रूप में भी मान्य रहेगा।

जगण यगण तथा तगण से प्रारम्भ पहले चार चरण में वर्जित रहेगा।  जबकि षष्ठम तथा अष्टम चरण में यगण से प्रारम्भ होने से लयात्मकता आकर्षक होगी। 


22 22 22 212, 22 22 21

22 22 22 212, 22 22 21


22 22 21, 122 22 22 22

या 

22 22 21, 212 22 22 22

उदाहरण देखते हैं ... 


1

पूजे तुमको कवि माँ शारदे, ध्यान धरे दिन रात।

भर कविता में उत्तम भाव तुम, सिद्ध करो हर बात।।

हे सरस्वती मात, तुम्हारा वर कविजन को मिलता।

बनके मसि ये सिंधु, मंत्र सा तरु पत्तों पर खिलता।।

@डॉ संजय कौशिक 'विज्ञात' 

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