3 विज्ञात वैजयंती छंद
शिल्प विधान -
सम मात्रिक छंद की शृंखला में विज्ञात वैजयंती छंद के चार चरण होते हैं। विषम चरण अर्थात प्रथम चरण तथा तृतीय चरण में मात्रा भार 11 रहता है और अंत गाल से अनिवार्य रहता है। जबकि सम चरण द्वितीय तथा चतुर्थ चरण में मात्रा भार 17 रहता है जिसका प्रारम्भ त्रिकल लगा अथवा गाल से अनिवार्य होता है।
यदि इस छंद के शिल्प विधान को वर्णिक दृष्टिकोण से समझना है तो यह स्पष्ट वाचिक मात्रा भार और शुद्ध वर्णिक छंद के रूप में भी मान्य रहेगा।
जगण तथा तगण से प्रारम्भ वर्जित रहेगा। जबकि द्वितीय तथा चतुर्थ चरण यगण से प्रारम्भ होने से लयात्मकता आकर्षक होगी।
22 22 21, 122 22 22 22
या
22 22 21, 212 22 22 22
उदाहरण देखते हैं ...
1
श्याम धणी का नाम, सहारा बनता हर हारे का।
आते भक्त अपार, करें दर्शन बाबा प्यारे का।।
2
काँवड़ लेकर भक्त, चले बम शिव बम शिव नित रटते।
शिव का कृपा प्रसाद, मिले उनको कष्ट सभी कटते।।
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