विज्ञात छंद में मेरी रचना आपकी सेवा में प्रेषित है :-
रचना का शीर्षक :-
भक्ति : आस और प्यास
छंद - विज्ञात छंद
कवि भारत भूषण वर्मा
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काव्य नया रचा जाए ।
जीवन आस बंधाए ।।
पाप डिगा नहीं पाए ।
दोष रुला नहीं पाए ।।
योग जहान को जोड़े ।
भोग महान को तोड़े ।।
तेज लगाम के घोड़े ।
आस लिए सभी दौड़े ।।
सावन भी यहां प्यासा ।
देकर आब की आशा ।।
आस कभी नहीं टूटे ।
डोर कभी नहीं छूटे ।।
गीतमयी कहे गीता ।
कर्म करे तभी जीता ।।
'भूषण' आस ये मेरी ।
मालिक प्यास है तेरी ।।
------ भारत भूषण वर्मा
असंध (करनाल) हरियाणा
( स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित)
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