Friday, 17 April 2020

विज्ञात छंद पर चली छंदाचार्यों की लेखनी





विज्ञात छंद में मेरी रचना  आपकी सेवा में प्रेषित है :-

 रचना का शीर्षक :-
  भक्ति :  आस और  प्यास
   छंद  - विज्ञात छंद
 कवि भारत भूषण वर्मा
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 काव्य नया रचा जाए ।
 जीवन आस बंधाए  ।।
 पाप डिगा नहीं पाए  ।
 दोष रुला नहीं पाए  ।।

 योग जहान को जोड़े  ।
 भोग महान को तोड़े  ।।
 तेज लगाम के घोड़े   ।
 आस लिए सभी दौड़े ।।

 सावन भी यहां प्यासा ।
  देकर आब की आशा ।।
आस कभी नहीं टूटे   ।
 डोर कभी नहीं छूटे  ।।

 गीतमयी कहे गीता   ।
 कर्म करे तभी जीता ।।
 'भूषण' आस ये मेरी  ।
 मालिक प्यास है तेरी ।।

  ------ भारत भूषण वर्मा
  असंध (करनाल) हरियाणा
   ( स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित)

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