Thursday, 16 April 2020

विज्ञात छंद आधारित नवगीत


विज्ञात छन्द 
नव गीत 
11/4/2020
8/211 212  22  (13 )

बेसुध सी हुई वाणी 
खण्डित हैं धरा शीणा 
भ्रामक हो रही आशा 
झंकृत हैं तनी वीणा ॥ 

शोडित षोडषी होगी 
रीत गईं भरी बोली 
लूट लगे सभी प्रीती 
रूठ गईं नहीं बोली 
टूट करें झरे मोती 
भेद बिना चुभे पीड़ा 
भ्रामक  हो रही आशा 
झंकृत हैं तनी वीणा । 

नैन झुके रहे भारी 
होठ सिले भरें जोशी 
राह निहारती हारी 
मादकता गईं होशी 
प्यार कु प्यार रूखा सा 
चीख़  रही दुखी श्रींणा 
भ्रामक  हो रही आशा 
झंकृत हैं तनी वीणा ॥ 

लौट रही तभी देखा 
भूल गईं सभी बीता 
सन्मुख देख खो जाना 
भाव तभी मनो रीता 
आनन सा झुका लाई 
आँख भरें रही क्रीड़ा 
भ्रामक हो रही आशा 
झंकृत हैं तनी वीणा ॥ 

डॉ़ इन्दिरा  गुप्ता यथार्थ

1 comment:

  1. खूबसूरत छंद पर शानदार नवगीत 👌🏻👌🏻👌🏻बहुत बहुत बधाई सुंदर सृजन 💐💐💐

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