*कलम की सुगंध, छंदशाला,संचालन मंडल*
. 👀👀 *पंच परमेश्वराय:नम:*👀👀
*आ.अनिता भारद्वाज अर्णव जी की गरिमामयी उपस्थिति में*
*आदरणीय साखी गोपाल पंडा जी की अध्यक्षता में*
*आ. बाबू लाल शर्मा बौहरा विज्ञ,*
*एवं आ. इन्द्राणी साहू साँची जी, की समीक्षा एवं सहमति के आधार पर एवं पटल के सुधि छंदकारों,आ.बाबू लाल शर्मा बौहरा विज्ञ, आ.इन्द्राणी साहू सांची,आ.अनिता मंदिलवार सपना,आ.अभिलाषा चौहान जी, आ. आशा शुक्ला जी, आ.अर्चना पाठक निरंतर जी, आ. डाँ. एन.के. सेठी जी, आ. नीतू ठाकुर विदुषी जी, आ. बिंदु प्रसाद रिद्धिमा जी,आ. धनेश्वरी सोनी गुल जी, आ. सुरेश देवांगन जी, आ. राधा तिवारी,राधेगोपाल जी एवं आ. गीता विश्वकर्मा नेह जी, आ.मधु सिंही जी, आ.अनुराधा चौहान जी,आ. पुष्पा गुप्ता प्रांजलि जी,आ.सौरभ प्रभात जी, आ.कंचन वर्मा विज्ञांशी जी,आ.कमल किशोर कमल जी,आ. गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न जी, आ. भावना शिवहरे जी,आ. अजीत कुमार जी,आ.पूजा शर्मा सुगंध जी, आ.श्वेता विद्यांशी जी*
*की इन छंदों पर रचनाओं के विवेचन के आधार पर आज हिन्दी साहित्य हेतु दो नवीन छंद "विज्ञात सवैया" और "कोविद सवैया" को सहर्ष मान्यता प्रदान की जाती है।*
१ *प्रथम.- विज्ञात सवैया*
आविष्कारक... *संजय कौशिक विज्ञात*
विधान:-
23 वर्ण 12,11 पर यति के साथ लिखा जाता है
इसमें 4 पंक्ति 8 चरण रहते हैं
तुकांत सम चरण में मिलाया जाता है
चारों पंक्ति के तुकांत समान्त रहते हैं।
वाचिक रूप मान्य रहता है।
इसमें गण व्यवस्था और मापनी निम्न प्रकार से रहती है
रगण तगण तगण मगण, रगण भगण तगण गुरु गुरु
212 221 221 222, 212 211 221 22
*उदाहरण-*
लेखनी के भाव टूटे पुकारें यूँ,
कौन ये व्यर्थ लिखे छंद पूछे।
तोड़ता है राग को जो सदा देखा,
देख लो बुद्धि दिखे मंद पूछे।
और पूरा जो धरे रूप प्यारा सा,
वो कहाँ है लघु सा नंद पूछे।
ज्ञान शब्दों का नहीं जानता है जो,
गीत के तोड़ वही फंद पूछे।।
. ......... संजय कौशिक 'विज्ञात'
००००००००००००००००००
*२.द्वितीय - कोविद सवैया*
आविष्कारक.. *परमजीत सिंह कोविद*
विधान:-
विधान:- 11,11 वर्ण के दो चरण, एक पंक्ति में कुल 22 वर्ण और 18,18 पर यति प्रति चरण पंक्ति में कुल 36 मात्राएं।
चारों समांत तुकांत
वर्ण व्यवस्था और मापनी 👇
211 222 21122, =11 वर्ण,18 मात्राएं
211 222 112 22 =11 वर्ण,18 मात्राएं
*उदाहरण :-*
कृष्ण कन्हैया हे मोहन मेरे,
कष्ट हरो मैं तो अब लाचारी।
मान बचाओ ऐ पालक आओ,
डोर कटी मैं हूॅं अब प्रतिहारी।
सोच विचारो ये नष्ट करो रिपु,
वार करो हे केवट बलिहारी।
लाज छुपाती हूॅं कोमल पलकें,
प्राण सखा मैं जीवन आभारी।।
...........परमजीत सिंह कोविद
. 👀👀🌼👀👀
*विज्ञात सवैया एवं कोविद सवैया दोनों छंदों को आज दिनांक ०४.०६.२०२१ को मान्यता प्रदान की जाती है।*
.........✍
*बाबू लाल शर्मा, बौहरा, विज्ञ*
वास्ते-
*कलम की सुगंध : छंदशाला*
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🌼🌼 विज्ञात सवैया 🌼🌼
विधान:- २३ वर्ण प्रति चरण
यति १२,११
मापनी- २१२ २२१ २२१ २२२,२१२ २११ २२१ २२ वाचिक
. *वंश राणा का*
. ••••••••
वीर मेवाड़ी हुआ वंश राणा का,
युद्ध वीरोचित प्रण धीर करते।
दुर्ग ऊँचे शीश मेवाड़ है गौरव,
मान हित शान लड़े आह भरते।
ढाक मँगरी रेत गिरि आक रजपूते,
झील जन मन दृग की पीर हरते।
शत्रु काँपे नाम से सर्प शेरों सम,
स्वप्न में जो उठ उठ भीत डरते।
. *********
........✍©
बाबू लाल शर्मा,बौहरा,विज्ञ
सिकन्दरा, दौसा, राजस्थान
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विज्ञात सवैया
व्योम भी ये आज रोने लगा सारा, ले नए कष्ट घिरे मेघ काले ।
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*विज्ञात सवैया*
नीतू ठाकुर 'विदुषी'
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प्रेम की भाषा अनोखी सदा भोली,
प्रेम ही जीवन पूंजी हमारी ।।
बोलते लाखो सदा बात आधी क्यों,
जागती आहट में मैं तुम्हारी।।
मोह घेरे प्रेम ज्वाला बढा़ती यूँ,
शाँत है वो सविता रात न्यारी।।
नैन तनहा ढूँढ़ती व्योम को जाती,
पास तेरे हिय संसार प्यारी।।
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*धनेश्वरी सोनी गुल*✍️✍️📚
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*विज्ञात सवैया छंद पर रचना*
राम ने सारंग को हाथ में लेके,
वाण तीखा करके लक्ष्य साधा।
धूर्त लंकापति बुने जाल को ऐसे,
कौन देखे विधि आधार वाधा।
तीर सीधा जा लगा नर्म नाभी पे,
आह आती मर के प्राण आधा।
हे सुनो देवो मुझे मोक्ष दे देना,
मोक्ष पाने भर से पार बाधा।।
*परमजीत सिंह कोविद*
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विज्ञात सवैया
*गीता विश्वकर्मा नेह*
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विज्ञात सवैया
विज्ञात सवैया
बेधता है मीत मेरा मना ऐसे
पंखुरी को अलि ज्यों डंक मारे।
पीर हिय जाने नहीं मीत बैरी क्यों
छूटती है मन की आस प्यारे।
प्रेम की भाषा सिखाऊँ उसे कैसे
व्यर्थ हैं गीत मना भाव सारे।
राह कोई भी सुझाई नहीं दे अब
भाग्य में प्रीत नहीं क्यों हमारे।।
पूजा शर्मा "सुगन्ध"
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संगिनी साथी सखी सॉंझ शर्माती,
क्या कहें जो सुर कोई सजाती ।
रागिनी सी राग गाती हमें भाती ,
सर्वदा बात यही वो बताती ।।
आ रही हैं प्रेम की ऑंधियॉं देखो,
प्रीति ही आज हॅंसाती रुलाती ।
जिंदगी का मौत से सामना होगा,
जान लो मौत हमें ही हराती ।।
*गुलशन खम्हारी'प्रद्युम्न'*✍️
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विज्ञात सवैया
मीत मेरे गीत तेरे मुझे भाते,
प्रीत मेरी अब तेरी मिलो तो।
बंध टूटे लोग रूठे कहें बातें,
स्वप्न मेरे अब तेरे खिलो तो।
साथ तेरा प्रेम मेरा लगे जैसे
चाँद तारे सब संगी चलो तो।
दीप बाती फूल काँटे सदा साथी,
देख मेरे सुख पीड़ा हिलो तो।
अभिलाषा चौहान'सुज्ञ'
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विज्ञात सवैया
उर्मिला से आज कहते लखन मैं तो,
राम का दास सुनो प्राण प्यारी।
मै चला वन को मगर सौंपता तुमको,
माँ,अयोध्या यह आज्ञा हमारी।
सह सकोगी कष्ट -कंटक न जंगलों के,
बात यह मान जनक दुलारी।
मैं करूँ सेवा सदा राम की मेरा,
प्रण न टूटे यह कोशिश तुम्हारी।।
____पुष्पा प्रांजलि
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*विज्ञात सवैया*
खींच दी दीवारें देखो वहाँ बोलो, आपने और यहाँ क्यों छला है ।
वो धुआँ है राख है देख लो आगे, भूलते सभी वहाँ हाथ जला है ।।
ज्ञान माँगू क्यों किसी से यहाँ बोलो, आप से जीवन मेरा चला है ।
शारदे माँ भाग्य मेरे संवारो यूँ, कष्ट टाले कब देखो टला है ।।
अनिता मंदिलवार सपना
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विज्ञात सवैया छंद
वीर सोनाखान के नित्य रह वन में,
बोलते हैं सब विश्राम त्यागो।
दासता जंजीर अंग्रेज दल बाँधे,
तोड़ के ये सब बंदूक दागो।
सर्वदा ही मारना लूटना सारा,
काम उनका पथ विद्रोह भागो।
थोप के कानून हमको सदा लूटे,
रक्त में पावक संचार जागो।।
सुरेश कुमार देवांगन
धमतरी (छत्तीसगढ़)
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विज्ञात सवैया
रोहिणी की आँख थी बंद देखो तो,
माँ यशोदा तब सो ही रही थी।
वासु जी पुत्री उठाए रखे धीरे,
श्याम के पास यशोदा मही थी ।
सूतिका आनंद छाया प्रकाशी ज्यों,
बात सारी हँस बाबा कही थी ।
रोहिणी की दासियाँ बोलती हैं जो,
सूचना दे तब भारी गही थी।
*अर्चना पाठक'निरंतर'*
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*विज्ञात सवैया*
आज विपदा आ पड़ी है बड़ी भारी,
कष्ट में मानव जीवन हमारा।
आपदा। है घोर खुशियाँ गई सारी,
रोग आया अब किसका सहारा।।
हैं विवश सारे मनुज पथ नहीं दीखे,
ईश ही एक सहारा हमारा।।
लोग सब दिखते यहाँ एक आशा में,
होयगा फिर खुश संसार सारा।।
*©डॉ एन के सेठी*
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विज्ञात सवैया
राजती यामा भुवन,वन भवन आराम होता।
आदमी को छोडिए,चर अचर अविराम सोता।।
हो थकावट ताजगी,अनमोल पल को कौन खोता।
सादगी से सोइये,फिर जिन्दगी मे कौन रोता।।
कवि- कमल किशोर कमल
हमीरपुर बुन्देलखंड
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वीर पृथ्वी राज चौहान बलशाली,
भाल तलवार धनुष युद्ध ज्ञानी।
ग्रंथ रामायण सहित ही महाभारत,
ध्यान नियमित गुरुवर ब्रह्मज्ञानी।
पित्र सोमेश्वर तनुज धीर पाषाणी,
सूर्य सम तेज प्रभावी प्रधानी।
कंचन वर्मा ‘विज्ञांशी’
*विज्ञात सवैया*
काल घेरे आस बैठा बना घाती,
आज रोगी उर चीखे पुकारे।
कृष्ण रैना बीत जाए कहे काया,
मौन बैठा मन आशा किनारे।।
श्वांस बैठी सी चले क्या जले आत्मा,
शून्य ढूँढें हठ जीते न हारे।
प्राण पंछी क्यूँ नहीं छोड़ यूँ जाए,
आत्म रूठे मन जी को न मारे।।
--दीपिका पाण्डेय'क्षिर्जा'🌷🌷🙏🙏
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🌼🌼 कोविद सवैया 🌼🌼
विधान- २२ वर्ण
यति ११,११ वर्ण पर
२११ २२२ २११ २२,२११ २२२ ११२ २२वाचिक
. *तीर्थ समझ चित्तौड़*
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पारस हल्दीघाटी हर मँगरी,
वीर प्रसूता मात यही माटी।
भारत मुगलो से भीत हुआ जब,
नाक डुबो मेवाड़ धरा चाटी।
दुर्ग बड़े मेवाड़ी गिरि ऊँचे,
शत्रु हरा कर नाक जहाँ काटी।
वंश महाराणा का सम ईश्वर
तीर्थ समझ चित्तौड़,धरा,घाटी।
. •••••••••••
......✍©
बाबू लाल शर्मा, बौहरा,विज्ञ
सिकंदरा, दौसा, राजस्थान
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कोविद सवैया
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कोविद सवैया
शांत धरा बोले मेघ हठी से, तारण हारे हो तुम ही मेरे।
बंधन कैसा ये जोड़ युगों से, संग चले दोनों हिय के फेरे।
प्रेम समाये हैं बोल रसीले,नित्य लगे जो नूतन से तेरे।
बूंद पिपासा जो है हर लेती, प्रेम सुधा भेजे सुन के टेरे।
नीतू ठाकुर 'विदुषी'
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कोविद सवैया
*गीता विश्वकर्मा नेह*
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प्रीति मुझे दे दो कृष्न सखा हे,
जीवन की वो प्यास बुझाना रे।।
माँग रही नैना ये कब से है,
दर्शन की प्यासी तुम आना रे।।
बाँसुरिया छेडे़ वो धुन प्यारी,
गाकर कान्हा गीत सुनाना रे।।
राह निहारे तेरी अँखियाँ यों,
नैनन में आके बस जाना रे।।
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*धनेश्वरी सोनी गुल*✍️✍️📚
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*कोविद सवैया*
*211 222 211 22,211 222 112 22*
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साजन आ जाओ आज अभी ही,
नैनन जाने क्यों खटके जैसे ।
प्रेम पिपासी मैं क्यों विरही सी,
वो जन राहों का भटके जैसे ।।
देखन को मैं तो यूॅं तरसी हूॅं,
सॉंस यहॉं मेरी अटके जैसे ।
बंजर भू प्यासी ही मरती है,
जान अभी जाती सटके जैसे ।।
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स्वरचित मौलिक रचना-
*गुलशन खम्हारी'प्रद्युम्न'*✍️
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कोविद सवैया
आज सुनी कान्हा बात सखी री,
प्रेम मिला है लाज लुटाई है।
लोग कहें मीरा प्रेम पगी री,
भक्ति किसी को कौन दिखाई है।
बोल सुने पीड़ा कौन कही री,
नीर नदी ही नैन बहाई है।
एक वही मेरे साथ चले री
झूठ कहे वे श्याम सहाई है।
अभिलाषा चौहान'सुज्ञ'
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कोविद सवैया
सुंदर सीता का रूप निहारे,
कंकण शोभा सज्जित आती है।
मोहक दृश्यों को नैनन धारे,
मंडप में सीता छवि भाती है।
मंगलकारी आच्छादित है जो,
राम कहें सीता सुख लाती है।
जोड़ रखे जो वीणा उर तारे,
अद्भुत रानी भी मधु गाती है।
*अर्चना पाठक 'निरंतर'*
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विज्ञात सवैया छंद
*कोविद सवैया छंद*
देकर प्राणों की आहुति हम सब,
देश सदा रक्षा हित हम मरते ।
तीर धनुष तैयारी कर धारण,
वीर प्रसूता वंदन भू करते।
साधन है गोंड़ों का यह सारा,
नित्य हमारे पुण्य धरा भरते।
श्रेष्ठ यहीं है बलिदान हमारा,
माँग रही है मृत्यु चलो वरते।।
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सुरेश कुमार देवांगन
धमतरी (छत्तीसगढ़)
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*कोविद सवैया*
जीवन में आया संकट सारा,
सृष्टि यही लाचार हुई सारी।
मानव बेचारा जीवन हारा,
बीत रहा जीवन अब लाचारी।।
बाहर अंदर से है सब सूना,
मौसम लाया है अब बीमारी।।
आपद में सारा जीवन आया,
मुक्त सभी होंगे यह तैयारी।।
*©डॉ एन के सेठी*
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
जोर लगा दीपू जीत मिलेगी,भोर खडा द्वारे शेर सवा का।
मोर बचाओ वर्षा बरसेगी,शोर बडा द्वारे शेर सवा का।
बाग लगा मारू प्रीत मिलेगी,राग बहा चारू गीत सुनाना।
वायु बही थारू पौध सुखाये,आग बही भारू बौर बचाना।।
कवि- कमल किशोर कमल
हमीरपुर बुन्देलखंड।।
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
जीवन है सुख दुख की नगरी सा,
कष्ट भले हों लेकिन हैं ख़ुशियाँ।
भोर नई शीतल छाँव यहाँ है,
धीर रखें ज्यों राह मिलें कलियाँ।
एक किरण भी तम को नष्ट करेगी,
आस रखें कर्मों पर हम सखियाँ।
प्रेम मगन जब संसार रहेगा,
प्रेम सुरों से धन्य बने दुनियाँ।
कंचन वर्मा ‘विज्ञांशी’
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
कोविद सवैया
यूँ हम सब भी आ साथ रहे तो, आज नहीं फिर किसका डर होना।
आ हम अपनी ही बात करें तो, धीर नहीं है हमको अब खोना।
तो कर लो अब कुछ बात यहांँ की, हाथ रहे सबको ही अब धोना।
गीत गजल भी लिखना सिखलादो, आज नहीं अब कोई भी रोना।।
राधा तिवारी "राधेगोपाल"
एल टी अंग्रेजी अध्यापिका
खटीमा,उधम सिंह नगर
उत्तराखंड
🙏🙏🙏
बहुत ही शानदार अविस्मरणीय आयोजन ...गुरुदेव संजय कौशिक 'विज्ञात' जी और परमजीत सिंह कोविद जी को हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐💐 कलम की सुगंध परिवार की एक और अनुपम उपलब्धि है ये...सभी रचनाकारों ने शानदार लेखन किया है। हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐💐
ReplyDeleteअविस्मरणीय पर सभी को बधाई
ReplyDeleteपावन मंच का हार्दिक आभार।
ReplyDeleteआदरणीय गुरु देव को प्रणाम।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏💐💐💐
गुरूदेव संजय कौशिक विज्ञात जी और परमजीत।सिंह कोविद जी को नवल छंद की बहुत-बहुत बधाई । सभी रचनाकारों को बधाई उत्तम लेखन की ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर आयोजन
ReplyDeleteआदरणीय गुरुदेव एवं आदरणीय परमजीत सिंह कोविद जी को बहुत बहुत बधाई🌺🌺🌺
ReplyDeleteहार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 💐💐
ReplyDeleteआप सभी का आत्मीय आभार साधुवाद 🙏🙏🙏
ReplyDeleteकोविद साहेब को नूतन सवैया अविष्कार की अनंत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐💐