आज नवरात्रि अष्टमी तिथि पर माता वीणापाणि ने अपनी असीम अनुकम्पा पुनः मंच पर दर्शाई है एक और नूतन छंद विषय के लिए आप सभी के समक्ष प्रकाश में आया और इस पर भी जम कर सृजन किया गया। आज के समीक्षा प्रभार से इंद्राणी साहू साँची और नीतू ठाकुर विदुषी तथा दिवस संचालक सरोज दुबे विधा ने बहुत मेहनत कर सभी साथियों को इस नूतन छंद का क्लिष्ट शिल्प विधान समझने में मार्गदर्शन कर सहयोग किया इसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है ।
मंच संचालिका अनिता मंदिलवार सपना के विशेष सहयोग से कार्यक्रम की नींव रखी जा सकी जिसका पूरे मंच को लाभ मिला बाबूलाल शर्मा विज्ञ द्वारा मंच पर पूर्व की तरह उपस्थिति प्रशंसनीय रही साखी गोपाल पण्डा समय समय पर सभी का उत्तम मार्गदर्शन करते रहे हैं कल भी हर्षित मन से उपस्थिति दी और आज भी कार्यक्रम को चार चांद लगाती हुई उपस्थिति परिवार में एक विशेष ऊर्जा का संचार करती दिखाई दी छंद के नामकरण की आवाज मंच से सुबह से ही सुनाई दे रही थी आप सभी की आवाज को छंद का नामकरण कर्त्ता डॉ. अनीता भारद्वाज अर्णव द्वारा न केवल सुना गया बल्कि उसे ही छंद का नाम दे दिया गया । जा से
10,8
10,8
8,10
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8,10
की मात्राओं वाले इस नूतन छंद को (कुल108 मात्राओं) विज्ञात योग शक्ति के नाम से जाना जाएगा जो आध्यात्मिक शक्ति से भी ओतप्रोत जान पड़ता है ऐसा प्रतीत होता है एक-एक मात्रा माँ वीणापाणि का सुमरण कर रही है। और आप सभी के मध्य उनका आशीर्वाद आज प्रकट हुआ है माँ वीणापाणि के स्नेहाशीष का आभार प्रकट करने के पश्चात
मंच पर उपस्थित छंद मर्मज्ञ परिवार दैनिक विषय संचालक परिवार और सामीक्षक परिवार सहित मुख्य मंच संचालिका अनिता मंदिलवार सपना का आत्मीय आभार प्रकट करता हूँ साथ ही सभी रचनाकारों को जिन्होंने प्रदत्त विषय विज्ञात योग शक्ति छंद पर मनोहारी सृजन किया। दिवस संचालिका आदरणीया सरोज दुबे विधा द्वारा प्रदत्त सूची में आभार सम्मिलित किया जा रहा है सभी को सादर नमन
दिनाँक -24/10/2020
दिन -शनिवार
विधा -विज्ञात योग शक्ति छंद
मात्रा भार ---10-8.... 8-10
*नमन गुरुदेव*🙏
आदरणीय गुरुदेव जी
संजय कौशिक 'विज्ञात'
जी के द्वारा अविष्कार कया गया नया छंद
*विज्ञात योग शक्ति छंद*
पर आज सृजन करने वाले रचनाकारों के नाम....
1. आ. इंद्राणी साहू 'साँची' जी
2.आ. डॉं आदेश कुमार पंकज जी
3.आ. कन्हैया लाल श्रीवास जी
4.आ. रानू मिश्रा जी
5.आ. कुसुम कोठारी जी
6.आ. डॉ ओमकार साहू 'मृदुल' जी
7.आ. धनेश्वरी सोनी 'गुल' जी
8.आ. सुखमिला अग्रवाल जी
9.आ. अनुराधा चौहान 'सुधि' जी
10.आ. पूजा शर्मा 'सुगंध' जी
11.आ. अनुपमा अग्रवाल 'वृंदा' जी
12.आ. अभिलाषा चौहान 'सुज्ञ' जी
13.आ. गुलशन कुमार साहसी जी
14.आ. सरोज दुबे 'विधा' जी
15.आ. दीक्षा चौबे जी
16..आ. सीमा अवस्थी 'मिनि' जी
17.आ. आरती श्रीवास्तव विपुला जी
18.आ. धनेश्वरी देवांगन 'धरा' जी
19.आ. डॉ. कमल वर्मा जी
20. आ. पूनम दुबे 'वीणा' जी
21.आ. दीपिका पाण्डेय जी
22. आ. डॉ मंजुला हर्ष श्रीवास्तव 'मंजुल' जी
23. आ. नीतू ठाकुर 'विदुषी' जी
24. आ. रीना सिंह जी
25. आ. आरती मेहर 'रति' जी
26 आ. राधा तिवारी 'राधेगोपाल' जी
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*कलम की सुगंध : छंदशाला,संचालन मंडल*
. 👀👀 *पंच परमेश्वराय:नम:*👀
*छंद शाला के प्रबुद्ध छंद मर्मज्ञ- श्री बाबू लाल शर्मा बौहरा, विज्ञ द्वारा*
*आ. इन्द्राणी साहू साँची जी, सुशीला साहू विद्या जी, चमेली कुर्रे सुवासिता जी, कन्हैया लाल श्री वास जी, सरोज दुबे विधा जी, की समीक्षा व आ. अनिता मंदिलवार सपना जी की सहमति से*
*श्री राजकुमार धर द्विवेदी, साखी गोपाल पंडा जी, पूजा शर्मा सुगंध, बोधन राम निषादराज जी, राधा तिवारी राधेगोपाल जी, धनेश्वरी जी,अनुपमा जी, अभिलाषा जी, अनिता भारद्वाज जी, सुधीर, अर्चना जी, नवनीत जी चौधरी, डाँ. कमल वर्मा जी, की विवेचना, समीक्षा व सहमति के आधार पर एवं पटल के सभी सुधि छंदकारों की इस छंद पर रचनाओं के आधार पर सर्वसम्मति से आज हिन्दी साहित्य हेतु एक नवीन छंद "विज्ञात योग शक्ति छंद" को सहर्ष मान्यता प्रदान की जाती है।*
छंद-- 🦢 *विज्ञात योग शक्ति छंद* 🦢
. ( मात्रिक छंद)
. 🦚🦚
छंद आविष्कारक- *श्री संजय कौशिक "विज्ञात"*
आज दिनांक 24.10.2020
*विज्ञात योगशक्ति छंद विधान* -- जैसा कि नाम से ही विदित हो जाता है कि विज्ञात योग शक्ति छंद में दो नामों की आभा एक साथ प्रस्फुटित होती है। यह चमक इस छंद का स्वयं परिचय देने के लिए पर्याप्त है
योग 10,8 मात्रा के चार चरण इसके पश्चात शक्ति के 8,10 मात्रा भार के 8 चरण इस छंद में लिखने हैं 6 पंक्ति 12 चरण में लिखा जाने वाला यह छंद अपना ही विशेष आकर्षण रखता है। इसके सृजन में विशेष बात जो ध्यान रखनी है वह यह है कि प्रत्येक चरण का अंत चौकल 112, 211, 22, 1111 अर्थात दो गुरु अनिवार्य हैं और *चतुर्थ चरण की तुकबंदी पंचम चरण में भी प्रयोग करनी अनिवार्य है* ध्यान रहे कि चतुर्थ चरण पूरा उठा कर यहाँ नहीं लिखना है कुण्डलियाँ की तरह 👈 केवल तुकबंदी निभानी है। *इस छंद के शिल्प की एक और विशेष बात यह है कि प्रथम चरण का प्रथम शब्द चौकल होना अनिवार्य है, यही प्रारम्भिक चौकल शब्द 12वें चरण का अंतिम शब्द होगा जैसे कुण्डलियाँ में प्रयोग करते हैं* ।
उदाहरणार्थ--
*अविरल* नित गङ्गा, बहती पावन।
माता सम नदिया, बड़ी *लुभावन*।।
आता *सावन*, बहती है कलकल।
रस्ता रोके, पर्वत ले छल-बल।।
चलती जाती, पर यह तो पल-पल।
समय कहे सुन, चल तू भी *अविरल*।।
*उलझन* की पतझड़, लगी झड़ी है।
बासन्ती खुशियाँ, शुष्क *घड़ी है*।।
दूर *खड़ी है*, देती अब तड़पन।
झांक रहा मन, फिर अन्तस् झड़पन।।
युक्ति नहीं है, पर ढूँढे सुलझन।
पड़े हुए जन, घेरे जब *उलझन*।।
--------------- *संजय कौशिक 'विज्ञात'*
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सादर,🙏
*अनिता मंदिलवार सपना*
*प्रमुख मंच संचालिका*
*कलम की सुगंध: छंदशाला*
*विज्ञात योग शक्ति छंद*
पर आज सृजन करने वाले रचनाकारों के नाम....
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
*बाबू लाल शर्मा बौहरा विज्ञ*
वास्ते ✍
*कलम की सुगंध :: छंदशाला*
सभी का आभार व्यक्त करते हुए गुरुदेव संजय कौशिक 'विज्ञात' जी ने कहा ....
पुण्यपावन मंच को सादर नमन आप सभी की उपास्थिति को सादर प्रणाम और इस उपलब्धि के माध्यम से कलम की सुगंध परिवार ने पुनः दिखा दिया है कि साहित्य को समर्पित छंदों के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में भी पूरे भारत में अग्रिम कतार में है ऐसे गर्वीले क्षण माँ वीणापाणि ने मंच को प्रदान कर हमें साहित्य जगत में सबसे आगे लाकर खड़ा कर दिया है। कलम की सुगंध हर छंदकार की अपनी ही कलम की सुगंध है हर रचनाकार की अपनी ही कलम की सुगंध है तो उसका महकना फैलना निश्चित ही सबको आनंद प्रदान करने वाला है।
आप सभी के प्रयास को सादर प्रणाम, वंदन नमन 🙏🙏🙏 माँ वीणापाणि को साष्टांग प्रणाम पश्चात कार्यक्रम के अंत अन्य मंच के संचालक परिवार समीक्षक परिवार को भी पुनः साधुवाद प्रेषित करता हूँ जिनका विशेष सहयोग आज के विषय को प्राप्त हुआ। 🙏
कलम की सुगंध परिवार के लिए निश्चय ही गर्व की बात है विश्व हिन्दी साहित्य में यह अकेला ऐसा परिवार है जो छंदों के विकास कार्य में निरन्तर लगा हुआ है मंच पर उपस्थित सभी रचनाकारों और छंदमर्मज्ञों को नमन आपके यश की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी ही कम है माँ वीणापाणि अपनी असीम अनुकम्पा आप सभी पर इसी प्रकार से बनाये रखे विश्व साहित्य में हर विधा, हर क्षेत्र में सदैव अग्रणी रहो
ReplyDeleteहार्दिक बधाई आदरणीय!👏👏👌👌💐💐💐🙏🙏
ReplyDeleteजब ये बंध पढ़े, पहली प्रतिक्रिया मेरे अंतस से ये निकली सचमुच अद्भुत हैं ये!!
ReplyDeleteआपकी लेखनी को नमन 🙏
युगों में ऐसा होता होगा कि कोई छंद कार आठ दिन में तीन-तीन नये छंदों की अविष्कार कर दे।
वो भी ऐसे कि लेखनी उस पर स्वत: दौड़ने लगे ।
मां वीणा पानी सदा आपकी लेखनी पर विराजित रहे ।🙏
अशेष शुभकामनाओं सहित अनंतानंत बधाईयाँ।
माँ वाग्देवी के साथ देवगुरु बृहस्पति की असीम अनुकम्पा है आप पर जो नित नये साहित्य अविष्कार हो रहे हैं आपकी लेखनी से ।
आज दिन सहित चार-चार छंद के जनक हैं आप, ये हम सभी के लिए गर्व का विषय है ,प्रथम दिन ही रचनाकारों ने उत्साह से अप्रतिम सृजन किया ये भी आनंद का विषय है ।
साहित्य जगत में निरंतर नये अध्याय जोड़ते रहिए।
पुनःअसीम शुभकामनाएं
अशेष बधाइयाँ।🌹🌹🌹🌹
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
सादर नमन 🙏🙏🙏
ReplyDeleteढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं 💐💐💐💐
छंद लिखना सरल नही और इतने सारे छंद पहले से मौजूद हैं कि अभी सभी के नाम तक याद नही हुए ऐसे में आप लगातार नए छंदों का निर्माण करते जा रहे हैं .... सच में यह अद्भुत और अकल्पनीय है।
माता रानी की कृपा सदा आप पर बनी रहे 🙏🙏🙏
कितने ही छंदकारों ने अपना पूरा जीवन छंद सीखने में लगा दिया पर आपने न सिर्फ सीखा बल्कि उसमें वृद्धि कर रहे हैं। आपका हर प्रयास एक उदाहरण बन जाता है और न जाने कितनों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत भी।
आपकी यह उपलब्धि बहुमूल्य है और हमें खुशी है कि हम इसके साक्षी बने। हमें विश्वास है यह सिलसिला थमने वाला नही। बस आप अविष्कार करते जाएं और हम सब आपके दिखाए पदचिन्हों पर चलते हुए नित नया सृजन करते रहें।
हम सब की शुभकामनाएं सदैव आपके साथ हैं। बस स्नेहाशीष बनाये रखिए 🙏🙏🙏🙏
हम भाग्यशाली हैं जो आपके द्वारा रचे गए छंदों के प्रथम सृजनकार बनने का अवसर मिला।आपके अविष्कार को नमन, आपकी लेखनी यूँ हीं नित नए प्रयोग करती रहे। हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं आदरणीय 💐💐💐💐
ReplyDeleteविज्ञात सिद्धि छंद की बधाइयां
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