कलम की सुगंध के संस्थापक गुरुदेव संजय कौशिक 'विज्ञात' जी ने तृतीय छंद का अविष्कार किया जिसका नामकरण डॉ अनिता भारद्वाज 'अर्णव' जी ने किया। मुख्य मंच संचालिका अनिता मंदिलवार 'सपना' जी के शानदार संचालन में छंद मर्मज्ञ बाबुलाल शर्मा बौहरा 'विज्ञ' जी और संपूर्ण संचालक और समीक्षक मंडल ने अपनी सहमती प्रदान की। 200 से अधिक कवि और कवयित्रियाँ इस अविस्मरणीय क्षण के साक्षीदार बने और अनेकों ने इस शानदार छंद पर सृजन कर अपनी खुशी को जाहिर किया।
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*कलम की सुगंध : छंदशाला,संचालन मंडल*
. 👀👀 *पंच परमेश्वराय:नम:*👀
*छंद शाला के प्रबुद्ध छंद मर्मज्ञ- श्री बाबू लाल शर्मा बौहरा,विज्ञ द्वारा*
*श्री राजकुमार धर द्विवेदी, साखी गोपाल पंडा जी, पूजा शर्मा सुगंध, बोधन राम निषादराज जी, इन्द्राणी साहू साँची जी,*
*आ. नीतू जी,चमेली जी कुर्रे, राधा तिवारी राधेगोपाल जी, अनिता जी सुधीर, डॉ. अनीता भारद्वाज अर्णव जी, अनिता मंदिलवार जी, नवनीत जी चौधरी, डाँ. कमल वर्मा जी, की विवेचना, समीक्षा व सहमति के आधार पर एवं पटल के सभी सुधि छंदकारों की इस छंद पर रचनाओं के आधार पर सर्वसम्मति से आज हिन्दी साहित्य हेतु एक नवीन छंद "विज्ञात योग छंद" को सहर्ष मान्यता प्रदान की जाती है।*
छंद-- 🦢 *विज्ञात योग छंद* 🦢
. ( मात्रिक छंद)
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छंद आविष्कारक- *श्री संजय कौशिक "विज्ञात"*
आज दिनांक 23.10.2020
*छंद के लिए नियम*
1 इसकी मापनी 10,8 की यति के साथ दो पंक्ति 4 चरण में क्रमानुसार लिखा जाता है।
अर्थात प्रथम चरण और तृतीय चरण में मात्रा भार 10 रहेगा और द्वितीय और चतुर्थ चरण में मात्रा भार 8 रहेगा ।
दो चरण सम तुकांत हो।
चरणांत चौकल २२,११२,२११ या ११११ से होना अनिवार्य।
(८/१० मापनी का विज्ञात शक्ति छंद ही योग करता हुआ प्रतीत होता है इस छंद में जैसे शीर्षाभिमुख आसन करके योग मुद्रा को प्रदर्शित करता है।) कुल मिलाकर विज्ञात शक्ति छंद के उलट मात्रा भार इस छंद में स्थापित होता है।
ये पहरा भी कुछ उल्टा दिख रहा है वहाँ
उदाहरण:-
मापनी 10/8
वरती गुण शिक्षा, नित ही हरपल।
आकर्षक कहते, उत्तम हलचल।।
क्या योग पढ़ा है, लिखा समझले।
ऐसे योगी तो, अब हैं विरले।।
आडंबर तक फिर, कौन बचा है।
रंगत गुण संगत, सदा रचा है।।।
संजय कौशिक 'विज्ञात'
🙏🙏
*सादर*
*बाबू लाल शर्मा, बौहरा, विज्ञ*
. वास्ते✍
*कलम की सुगंध: छंदशाला*
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आप सबने इसे भी विशेष बना दिया । नमन सहित माँ वीणापाणि की वंदना पश्चात आत्मीय आभार प्रकट करना नहीं भूला जा सकता कि उन्होंने इन नवरात्रों में आज द्वितीय अवसर स्थापित कर दिखाया कि माँ वीणापाणि का विशेष आशीर्वाद आपके इस विद्या के मंदिर पर है । माँ वीणापाणि से प्रार्थना है कि वे भविष्य में भी ऐसे आयोजन करवाती रहें
🙏🙏🙏
*आज के प्रदत विषय पर रचना सृजन करने वाले कलमकारों का नाम*
१.आ.अनिता सुधीर जी
२. आ. कन्हैया लाल श्रीवास जी
३. आ. सौरभ प्रभात जी
४. आ. रानू मिश्रा जी
५. आ. डाँ मीता अग्रवाल जी
६. आ. डाँ दीक्षा चौबे जी
७. आ. चंद्रा किरण शर्मा जी
८. आ. सुखमिला अग्रवाल जी
९. आ. कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा' जी
१०. आ. नीतू ठाकुर ' विदुषी' जी
११. आ. सरोज दुबे 'विद्या' जी
१२. आ. अभिलाषा चौहान जी
१३. आ. धनेश्वरी सोनी 'गुल' जी
१४. आ. डाँ सीमा अवस्थी 'मिनी जी
१५. आ. इन्द्राणी साहू 'साँची' जी
१६. आ.अलका जैन आनंदी जी
१७. आ. शरद अग्रवाल जी
१८. आ. डाँ ओमकार साहू जी
१९. आ. पूजा शर्मा 'सुगन्धा' जी
२०. आ. डाँ श्रीमती कमल वर्मा जी
२१. आ.राधा तिवारी 'राधेगोपाल' जी
२२. आ डाँ मंजुला हर्ष श्रीवास्तव 'मंजुल'
२३. आ. आरती श्रीवास्तव 'विपुला' जी
२४. आ. सुशीला साहू 'विद्या' जी
२५. आ. दीपिका पाण्डेय जी
२६. आ. परमजीत सिंह कहलूरी जी
२७. आ. पूनम दुबे 'वीणा' जी
२८. आ. डॉ इन्दिरा गुप्ता 'यथार्थ' जी
२९. आ. अमिता श्रीवास्तव 'दीक्षा' जी
3०. आ. अनुपमा अग्रवाल 'वृंदा' जी
३१. आ. अनुराधा चौहान 'सुज्ञ' जी
सभी का आभार व्यक्त करते हुए गुरूदेव संजय कौशिक 'विज्ञात' जी ने कहा....
पूर्व के प्रदत्त छंद विषय की तरह इस छंद पर भी आप सभी ने जम कर सृजन किया माँ वीणापाणि आप सभी पर अपना स्नेहाशीष इसी प्रकार से बनाये रखे। मुझे आप सभी का स्नेहाशीष प्राप्त हो रहा है ये भी हर्ष का विषय है
नमन सहित ढेरों बधाई एवं अनंत शुभकामनाएं प्रेषित करता हूँ कि अपने मंच का प्रत्येक छंदकार विश्व पटल पर अपनी अलग पहचान बनाये और कलम की सुगंध छंदशाला के सार्थक प्रयास से प्रत्येक कलम की सुगंध समस्त भूमंडल पर फैलती हुई नव जागृति, नवचेतना, नवसृजन का आभास कराती रहे।
आप सभी के सृजनात्मक सहयोग के लिये आत्मीय आभार और आज के दिवस समीक्षक अनिता सुधीर आख्या जी, चमेली कुर्रे सुवासिता जी, मंच संचालक अनिता मंदिलवार सपना जी नवगीत माला प्रमुख संचालक नीतू ठाकुर विदुषी जी सहित समस्त समीक्षक एवं संचालक मण्डल का आत्मीय आभार प्रेषित करता हूँ आप सभी के सहयोग से कलम की सुगंध छंदशाला मंच कुछ नए कीर्तिमान स्थापित करता हुआ दिख रहा है जो साहित्य समाज में इसके विशेष होने का आभास कराता है। सच तो ये है आप सभी विशेष हैं
*सभी को ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं💐💐💐*
एक सुखानुभूति
ReplyDeleteअद्भुत , अद्वितीय ऐसा बहुत कम हुआ होगा युगों में कि किसी छंद कार ने सात दिनों में दो दो नव छंद का निर्माण किया हो ,और साथ ही उसपर दो दिन में इतने रचनाकारों ने सृजन कर दिखाया।
बधाई और शुभकामनाओं के लिए शब्द नहीं है , निशब्द हूं आवाक हूं।
फिर भी अंतर हृदय से अशेष बधाइयाँ, आदरणीय गुरुदेव को उनके तीसरे छंद के अविष्कार के लिए।
साहित्य जगत सहस्त्रो वर्षों तक आपका ऋणी रहेगा।
सदा साहित्य में नये आसमान गढ़ते रहें ।
सादर।
नवरात्रि के पावन अवसर पर एक से बढ़कर एक सुंदर छंदों का निर्माण मातारानी की कृपा ही है जो गुरुदेव पर बरस रही है और उनके माध्यम से हम सब को सीखने और इस अविस्मरणीय क्षण का साक्षी बनने का सुअवसर प्राप्त हो रहा है।गुरूदेव की निःस्वार्थ साहित्य सेवा और अथक परिश्रम का फल हैं यह छंद जो आज हमारे बीच हैं। हमें गर्व है कि हम कलम की सुगंध परिवार का हिस्सा हैं और गुरुदेव हमारे मार्गदर्शक 🙏🙏🙏
ReplyDeleteढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं 💐💐💐
दिनों दिन निखरती महकती रहे,
ReplyDeleteआपकी लेखनी उत्तम सृजन करती रहे।
आशीष माँ शारदे का सदा साथ हो,
मन भरा अडिग विश्वास हो।
नमन हृदय तल से अभिनन्दन करूँ
हे गुरुवर आपका मैं वन्दन करूँ।।
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
अद्वितीय, अद्भुत 🙇🙇🌷🌷🙏🙏
ReplyDeleteबहुत ही शानदार गुरूदेव जी ।
ReplyDeleteएक सप्ताह में दो नव छंद का आविष्कार
बहुत-बहुत बधाई हो आपको और हम सभी को भी ।
4181 तो नहीं है यह
4182, 4183 या अन्य जो कुछ भी समझें समझ सकते हैं
पर माननीय गुरुदेव की शृंखला अलग रहती है
18,18
18,18
अर्थात 18,18 यति के साथ है ।
जबकि विज्ञात शक्ति छंद 8,10= की यति के साथ 18 है जिसमें 4 पंक्ति 8 चरण हैं और अंत चौकल या 2 गुरु अनिवार्य है।
और विज्ञात योग छंद
10,8 की यति के साथ 2 पंक्ति 4 चरण का छंद है।
अन्य कोई संदेह हो तो आदरणीय गुरुदेव से संपर्क कीजिये। मुझे जितना ज्ञान था मैंने साझा कर दिया । 🙏🙏🙏